Meaning of हृदय व रक्तवाहिन्यासंबंधी in English
- Of or pertaining to, or produced by, a cardiograph.
- Measurement of the heart, as by percussion or auscultation.
Meaning of हृदय व रक्तवाहिन्यासंबंधी in English
English usage of हृदय व रक्तवाहिन्यासंबंधी
Synonyms of ‘हृदय व रक्तवाहिन्यासंबंधी’
Antonyms of ‘हृदय व रक्तवाहिन्यासंबंधी’
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- #lyrics #song #hindi
सोये ना अखियाँ, हृदय ना पावे आराम,
याद आता है कोई, दिल को शुबहो शाम
हाँ.. हृदय ना पावे आराम....
लब लेती है बस उसी का नाम,
पहुँच ना पाए एक दिल तक,
एक दिल का पैगाम ।
सोये ना अखियाँ, हृदय ना पावे आराम,
याद आता है कोई ,दिल को शुबहो शाम...
ना पावे आराम... हाँ दिल को........
ना तन है ना ,मन मेरे बस मे,
डर है कहीं हो ना जाए नीलाम ।
जिशम के भूखे, घूम रहे हैं शैतान....
याद आता है कोई , दिल को शुबहो शाम
हृदय ना पावे..... दिल को.....
जो तू ना आया, मर जाऊँ मैं बिरह मे,
विगत देखना तुम आकर, मेरा परिनाम ।
जग का जाने प्रेम, दुनिया है अंजान....
याद आता है कोई, दिल को शुबहो शाम
हृदय ना पावे.......दिल को....... ।।
Author Munna Prajapati
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नोट: यदि कोई इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिलीज करना चाहता है तो कर सकता है, अनुमति लेने के बाद । हमारी अनुमति अनिवार्य है ।
- शीर्षक:"बड़ी पुरानी डायरी है
जिसे मै लेकर निकला हूँ "
बड़ी पुरानी डायरी है ,
जिसे मै लेकर निकला हूँ ।
भुला नही हूँ, याद है मुझे,
यह वही है जगह जहाँ,
से मै फिसला हूँ ।।
बर्षों हो गए उससे बिछड़े,
हर रात यह सोच कर सोया,
और नींद नही आयी,
अर्षों बाद जब उसे देखा,
तो याद आया मुझको,
वो तो मेरे जेहेन मे है ,
मै उससे नही बिछड़ा हूँ ।।
मै गिरा भी तो इस कदर
गिरा उसकी चाहत में,
उम्र गुजर गया पर
अभी तक सम्भला ही नही,
बसाकर हृदय में उसको
गली गली ढूंढा , पर वो
अपना मिला ही नही,
बड़ी पुरानी डायरी है
जिसे मै लेकर निकला हूँ ।।
मैंने उसे अपना सब कुछ बना बैठा,
बिना सोचे उसे मैंने,
अपनी सांसों मे सना बैठा,
बड़ी लंबी कतार थी
उसके आशिकों की ,
जाकर अंत में मालूम हुआ,
के मै तो पिछला हूँ...
बड़ी पुरानी डायरी है
जिसे मै लेकर निकला हूँ ।।
✍️ मुन्ना प्रजापति
उत्तर प्रदेश, कुशीनगर
- #poetry खुशी देखी नही जाती....
किसी की खुशी कहाँ किसी से देखी जाती है,
गर कोई खुश है तो किसी की नेकी जाती है ।
कहीं कोई भूखा मरता है तो ,
कहीं अन्न फेकी जाती है,
कहीं गर्दन पर तलवार रखी है ,
तो कहीं गर्दन रेती जाती है,
भाई - भाई से भाई को लड़ाकर
घर भेदी जाती है ।
यहाँ अपनी तकलीफ ,मुशिबत ,
किसी और को दे दी जाती है,
यहाँ किसी और का दुःख नही ,
खुद की वफा लिखी जाती है,
कुछ सीखना है तो हारना होगा,
यहाँ हारकर ही सीखी जाती है ।
ये जिंदगी तो अब दवाओं पर चल रही है ,
मन की पहलुएं पल - पल बदल रहीं हैं,
अभी खुश, अभी द्वेष, अभी कलेश,
प्रत्येक हृदय यहाँ एक दूसरे से जल रहीं हैं ।
मन का चोट यहाँ दूसरों के
हंसी ठहाकों से सेकीं जाती है,
गर कोई खुश है तो किसी की नेकी जाती है,
किसी की खुशी कहाँ किसी से देखी जाती है ।
~ मुन्ना प्रजापति (उ. प्र.)
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