राजनीति का भक्तिकाल
अनन्त राम श्रीवास्तव
हिंदी साहित्य में "भक्तिकाल" तो हम सब ने पढ़ा था। किंतु "राजनीति का भक्तिकाल" शायद ही किसी ने पढ़ा हो। आजाद भारत में अभी तक राजनीति में कभी भी भक्तिकाल नजर नहीं आया। किसी भी राजनीतिक पार्टी ने भक्ति करना तो दूर भक्ति करने का दिखावा तक नहीं किया।
राम मंदिर निर्माण के साथ अब मंदिर में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां परवान चढ़ रहीं हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों में भक्ति का ज्वार उफान मारने लगा है। सत्तारूढ़ राजनीतिक दल और उसके समर्थक २२ जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अयोध्या में अपनी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास कर रहे हैं।
वहीं मार्क्सवादियों को छोड़ कर अन्य विपक्षी राजनीतिक दलों के राजनेता किसी न किसी मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करने का विचार सार्वजनिक कर चुके हैं कोई मंदिर में सुंदर काण्ड अथवा हनुमान चालीसा का पाठ करेगा, किसी ने कोलकाता के काली मंदिर में शक्ति साधना करने का मन बना लिया है। राजनीतिक जनजागरण यात्रा पर निकले देश के प्रमुख राजनीतिक दल के नेता ने शिव मंदिर में पूजा अर्चना कर सत्ता की चोखट तक पहुंचने का मन बनाया है।
देश में मार्कवादी ही ऐसे हैं जो किसी भी धर्म को नहीं मानते हैं। था राम की ही महिमा है कि मार्क्सवादियों को छोड़ कर अधिकांश प्रमुख राजनीतिक दल किसी न किसी कि भक्ति साधना के माध्यम से सत्ता का लक्ष्य साधने में जुटे हैं। एक स्माय था कि हर राजनीतिक दल स्वयं को "सेकुलर" अथवा धर्म निरपेक्ष साबित करने के लिए मंदिर और भक्ति से दूरी बना कर चलता था। वहीं राम मंदिर निर्माण के बाद बने राम मय वातावरण ने अधिकांश राजनीतिक दलों को भक्ति करने को मजबूर कर दिया है भले ही वह भक्ति दिल से ने होकर दिखावे के रूप में ही हो।
हे राम तुमने अपने काल में "अजामिल, गीध, गणिका, बालमीक, जैसे कितनो का कल्याण किया। राम का नाम लिखे पत्थर समुद्र के पानी में तैरने लगे थे जिससे लंका तक पहुंचने के लिए सेतु बन गया। आपकी महिमा अपरम्पार है। राजनीतिक दलों के इस भक्ति काल में "मन में राम बगल में छुरी" वाली कहावत को मूल मंत्र मानने वाले भी बहती गंगा में "भक्ति" की डुबकी लगाने का प्रयास कर रहे हैं। अभी जब आप का यह प्रभाव है तो प्राण प्रतिष्ठा के बाद आपका प्रभाव क्या होगा यह तो आप ही जाने।
हमे लगता है कि आप निश्चित ही अपने राम झरोखे में बैठ कर सबकी भक्ति का आकलन अवश्य कर रहे होंगे। जिसकी जैसी भक्ति होगी उसे वैसी ही २०२४ में सत्ता की शक्ति प्रदान करोगे।
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आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव