प्राणवान बनने की कवायद
अनन्त राम श्रीवास्तव
अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व निर्जीव हो चुके राजनेताओं में प्राणवान बनने की होड़ मची हुयी है। इन नेताओं को ऊल जलूल बयान देकर सुर्खियों में आने की आदत बन गई है।
एक नेता ने अपने जारी बयान में "मंदिर" को गुलामी का प्रतीक बताया। संभवत: इन नेताजी ने गुलामी देखी नहीं होगी अन्यथा वे इतना ओछा बयान नहीं देते। एक दूसरे नेता जी ने "राम मंदिर" को मनुवाद की शुरुआत बताया। अब भला इन नेता जी को कौन समझाये कि "यूआई में भी लक्ष्मी नारायण मंदिर बन कर तैयार है। क्या यूएई जैसे इस्लामिक देश में भी मनुवाद(ब्राह्मणवाद) की शुरुआत होने वाली है यही नहीं विश्व के अन्य कई देशों में भी मंदिरों का निर्माण हो रहा है तो वहां भी मनुवाद (ब्राह्मणवाद) की शुरुआत होने वाली है उनके बयान की रोशनी मे देखा जाये तो विश्व में "सनातन धर्म" का वर्चस्व बढ़ रहा है यह भारत के "विश्व गुरु" बनने की दिशा में शुभ संकेत है क्योंकि "सनातन धर्म" ही वसुधैव कुटुंबकम् की भावना से ओतप्रोत है और विश्व का मार्ग दर्शन कर सकता है।
इन नेताओं का एक ही उद्देश्य है कि "वर मरै या कन्या उन्हें दक्षिणा से मतलब" अर्थात किसी को भी गाली देकर अथवा अपमानित कर स्वयं को समाचारों की सुर्खियों में बने रहना है। मित्रों हम सबको ऐसे नेताओं से सावधान रहना चाहिए। इनका उद्देश्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में येन केन प्रकारेण विघ्न पैदा करना है।
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आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव