तुम ऐसी क्यूं हो
जो आंखों में खटके वैसी क्यूं हो
तुम ऐसी क्यूं हो
कानो में चुभे जो आवाज़ वैसी क्यूं हो
तुम ऐसी क्यूं हो
जैसे बेमतलब कि ज़िद वैसी क्यूं हो
तुम ऐसी क्यूं हो
खाना हो जैसे बेस्वाद वैसी क्यूं हो
तुम ऐसी क्यूं हो
जैसे सच हो कड़वा वैसी क्यूं हो
तुम ऐसी क्यूं हो
जैसे हो पंछी आज़ाद वैसी क्यूं हो
तुम ऐसी क्यूं हो
ज़माने की ना हो परवाह वैसी क्यूं हो
इतनी लापरवाह क्यूं हो
तुम ऐसी क्यूं हो
जिसे शर्म हो ना हया वैसी क्यूं हो
तुम ऐसी क्यूं हो
जो करदे सब बरबाद वैसी क्यूं हो
तुम ऐसी क्यूं हो
जिसकी हो ना कोई हद वैसी क्यूं हो
तुम ऐसी क्यूं हो
करना ना चाहें जिसे याद वैसी क्यूं हो
तुम ऐसी क्यूं हो
जैसी भी हो तुम आखिर वैसी क्यूं हो