कभी अघाया न थका, देते तुम्हें मन की पीर,
छह गज राखो फ़ासला, जाओ न उसके तीर ।
(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
20 April 2024
कभी अघाया न थका, देते तुम्हें मन की पीर,
छह गज राखो फ़ासला, जाओ न उसके तीर ।
(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "