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जाने और अनजाने में बस तिरा नाम पुकारा करते हैं!अक्सर ही दीवारों पर तिरी तस्वीर उतारा करते हैं!आतिश ए इश्क़ने बख़्शे
मुझे याद हैं सभी किस्से वो इश्क़ का ज़माना!कभी रूठना वो उनका कभी उनका वो मनाना!मुझे तल्ख़ लहजा बचपन से नहीं पसंद सुन
अपनी बातों को ही मनवाया करता हूँ! आईने से भी लड़जाया करता हूँ!हुस्न और इश्क़ से ही दुनिया क़ायम है, भँवरा बन&nbs
तुम्हारी जुल्फों के साए से भी, न जाने क्यूँ डरसा लग रहा है!कोई तो है आस पास अपने, या सिर्फ मुझको गुमाँ हुआ है!किसी की आँखों में अश्क हैं तो,किसी के चहरे पे मुस्कुराहट,अजीब रस्में&nbs
नज़रें मिला के उसने तो यार कमाल कर दिया!एक हसीना ने मिरा जीना मुहाल कर दिया!फैली तो है ये बात भी श
मेरा हाल वो मेरी तबीयत क्या जाने!कब सँभलेगी अपनी हालत क्या जाने!वो जो पाई पाई का रखता
मेरा दिल ही मेरे पैहम नहीं है!मैं कैसै कह दूँ कोई ग़म नहीं है!बड़ी नरमी से तुम हो पेश आते,तुम्हारी ज़ुल्
तू मेरी जान है लख़्ते जिगर है!तभी तो हर घड़ी ज़ेरे नज़र है!हक़ीक़त पूछते हो तो सुनो फिर,तुम्हीं से ज़िन्दगी ये मोतबर है! ये बढ़ता
तुम्हारी आँख में ठहरा हुआ हूँ!कभी आँसू कभी सपना हुआ हूँ!मैं किसके हाथ की ज़ीनत बनूँगा,हिनाई शाख़ से टूटा
मुहब्बत की सिफारिश हो रही है! किसी के दिल में सोज़िश हो रही है!सुना है नाम है कुछ और उसका,मगर वो दिल की नाज़िश हो रही है!मुहब्बत की हैं
🍁 افسانہ 🍁 🌹 زخمی گلاب 🌹تحریر : 🍂 زویا شیخ 🍂نادیہ نادیہ وہ آواز دیتا ہوا گھر میں داخل ہوا.نادیہ یہ کیا ہر وقت تم اندھیرے کمرے میں بند رہتی ہو؟ عجیب حالت بنا رکھی ہے اپنی اور گھر کی؟ وہ شدید غصے