मुहब्बत की सिफारिश हो रही है!
किसी के दिल में सोज़िश हो रही है!
सुना है नाम है कुछ और उसका,
मगर वो दिल की नाज़िश हो रही है!
मुहब्बत की हैं होती आज़माइश,
कड़े पहरे भी बंदिश हो रही है!
हैं भूखे मर रहे इन्सान सारे,
कहीं नोटों की बारिश हो रही है!
अँधेरे छँट रहे हैं धीरे - धीरे,
दिलों में जिंदा ताबिश हो रही है!
बड़ा चालाक है दुश्मन हमारा,
नई हर रोज़ साज़िश हो रही है!
किसी के कुत्ते खाते केक बिस्कुट,
ग़रीबी में शू पालिश हो रही है!
कहाँ पर क़ह्र बन जाना है उनको,
हवाओं में ये साज़िश हो रही है!*
कठिन है मिसरआ पर ए 'लकी' जी,
ग़ज़ल कहने की कोशिश हो रही है!
सग़ीर लकी