नज़रें मिला के उसने तो यार कमाल कर दिया!
एक हसीना ने मिरा जीना मुहाल कर दिया!
फैली तो है ये बात भी शह्र में बन के सनसनी,
कैसा ज़माने वालों ने देखो वबाल कर दिया!
कोई नहीं रफ़ीक़ जिसको मैं सुनाऊँ हाले दिल,
मेरे ग़मों ने किस क़दर मुझ को निढ़ाल कर दिया!
बतला नहीं सका उसे ख़ुद की है आजिज़ी बहुत,
रोटी का इक ग़रीब ने मुझसे सवाल कर दिया!
इतनी सी छोटी बात पर तुम तो खफा ही हो गए,
तुमने खुद अपना देखो रो कर बुरा हाल कर दिया!
बर्क़ सी जैसे जिस्म में कौंद गई थी इक मिरे,
छू के मिरा बदन लगा तुमने गुलाल कर दिया!
जिसके लिएथा छोड़ा घर बार लकी ने अपना सब,
कह रहे लोग काम तो ये बाकमाल कर दिया!
सग़ीर लकी