Meaning of स्थिर जन्म in English
- The birth of a dead fetus.
Meaning of स्थिर जन्म in English
English usage of स्थिर जन्म
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- #lyrics #hindi मै तुझमे शामिल...
तुमने अपना कहा ,,,,,मैने माना सनम,
हो गया तुझमे शामिल मै सातों जनम ।
आया सावन का लहर ,जब गुजरा समर,
तुम हुए गुमशुदा ,अब है जाना किधर ।
नया है सफर हूँ अंजाना सनम..........
हो गया तुझमे शामिल मै सातों जनम.. ।
जख्म ऐसे मिले, कैसे हैं शीलशीले,
बढ़ रही हैं मेरी, अब तो और मुश्किलें ।
मै इश्क़ करता नहीं तुमने ठाना सनम.....
हो गया तुझमे शामिल मै सातों जनम.. ।
कौन सुनेगा यहाँ, अब कहानी मेरी,
मैने छुपा कर रखी है, निशानी तेरी ।
ले गया मुझसे मेरी जवानी बेरहम...
हो गया तुझमे शामिल मै सातों जनम... ।
✍️ Author Munna Prajapati
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- मेरा जन्म एक दुविधा
- #poetry टूटते हैं तभी तो नये बनतें हैं...
कैसे मै उसे बुरा - भला कहूँ
जिसने भी मुझको तोड़ा था ।
मकान टूटतें हैं तभी तो
नये बनतें हैं ।
मै तो उसका आज भी
एहतराम करता हूँ, जो खो गया ।
बेहतर ही कोई अपना होता है
इसलिए तो कोई बिछड़ता है ।
मोहब्बत गम और जखम देती है
और मरहम भी नहीं देती ।
शायद मोहब्बत में जरूर कोई बात है
इसलिए तो लोग निखरतें हैं ।
विफल हो रहे हो तो दो - चार
कोशिशों में ही थक गए क्यूँ..?
अब उन्हे तो हजार बार गिरना है
जो उचाईयों पर चढ़तें हैं ।
ये तो तय है तुमने जन्म लिया है
तो एक रोज मरना भी है ।
शायद वो लोग नहीं मरते
जो अपने आप मे अकड़तें हैं ।
अब भई हमे तो पता है
वहाँ रिश्वत नहीं ली जाती ।
शायद उनसे मांगा जाता होगा
जो सिर्फ दौलत से ही
अपनी झोलियाँ भरतें हैं ।
~ मुन्ना प्रजापति
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- #lyrics #bhojpuri एक पल भी ना लागे जिया...
कईसे बातायी ए मोरे सावरिया,
एक पल भी ना लागे जिया.... २
तड़पीले छछनीले..... २
मार के रहीं हम, ख़ुद के हिया....
कईसे बातायी...... एक पल..... २
छोड़ी के सईया तु तs चली रे गईलs,
अईसे करके रहे तs काहे गवना करईलs... २
सुना - सुना लागे मोरा .....२
सजल सेजिया .....
कईसे बातायी ए मोरे सावरिया,
एक पल भी ना लागे जिया... २
फुलल फुलवारी तोहरा नजरी ना आईल,
नया नौहर रहीं कनिया तनिक ना बुझाईल..... २
केकरा से करी आपना... २
दिल के बतिया....
कईसे बातायी मोरे सावरिया,
एक पल भी ना लागे जिया..... २
मन मन्दिर मे बसा लिहनी तोहार सुरतिया,
रही इंतजार जन्मो जनम मोरे रचित पिया..... २
जुल्मी समईया औरि.... २
हई रुपईया बिया.....
कईसे बातायीं मोरे सावरिया,
एक पल भी ना लागे जिया..... २
~ मुन्ना प्रजापति
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- #lyrics मेरा मन घबराया रे...
मेरा मन असहि ना घबराया रे ,
टूटे कोई छुटे ,ये कैसा जुग आया रे..
मेरा मन असहीं ना घबराया रे....
जनम देखे मरण देखे, इस
धरा पर एक क्षण ला आया रे...
फिर क्यूँ इस जीवन पर इतराया रे..
इंसान इंसानियत भूले, ये कैसा जुग आया रे...
मेरा मन असहिं ना घबराया रे...
पल में परलय होय यहाँ, जानी
ह्रदय में हम कहाँ से आया रे..
कोई दुजा क्यूँ ना भाया रे..
होय झूठे ना मन को धुले, क्या भाव
तुझमे समाया रे...
मेरा मन असहिं ना घबराया रे....
यह देह ना तुम्हरा ,तात बता
स्नेह फिर क्यूँ ना लुटाया रे..
बिन सवाब समय काट आया रे..
ना खिले हृदय फुल, धन कागज
का भर लाया रे...
कहे मुन्ना जब जाना, उमर भर
क्या कमाया रे...
मेरा मन असहिं ना घबराया रे....
~ मुन्ना प्रजापति (उ. प्र.)
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- #lyrics हमरे ला बनवले तोहरा के कुदरत..
M- तोहार सूरत दिल मे बसल बा,
जन्मो जनम के सपना सजल बा... २
बसालs हमके तु आपना दिल मे... २
हमरे ला बनवले तोहरा के कुदरत..
F- ना शकल ना सूरत ,नाहीं बाटे,
तोहार कवनो जरूरत... २
छोड़ी द रहतीय मानs मोरी बतिया...२
हद से ज्यादा बाड़s तु उड़त.....
ना शकल ना सूरत, नाही बाटे,
तोहार कवनो जरूरत....
M- बानालs हमके आपन संगतिया.. २
हो गईल बा तोहसे साची पिरीतिया...
भहुआ धनुहिया कारी रे केसिया... २
कमर कमान लागे नटराज मुरत
F- ना शकल ना सूरत, नाहीं बाटे,
तोहार कवनो जरूरत... २
छोड़ी द रहतिया मानs मोरी बतिया.. २
हद से ज्यादा बाड़s तु उड़त......
M- जियब ना तोहरा बिन जाने जाना.. २
हो गईल बा दिल तोहरा उल्फत मे दिवाना...
तोहार बहिया बिन कटी ना रहिया... २
हद से ज्यादा बाटे तोहसे मोहब्बत..
F- ना चाहि शकल ना सूरत , हमके
तs बाटे तहरे जरूरत...
थाम लs बहिया ए हो मोर सईया... २
तोहरे संगत से बा सफर ई पुरत...
~ मुन्ना प्रजापति
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- #lyrics #hindi चलो चलें कहीं दूर हम....
चलो चलें इस जहाँ से कहीं दूर हम...
इश्क़ करने वालों को मिलता है यहाँ पे गम...
चलो चलें इस जहाँ से कहीं दूर हम...
इश्क़ से बने इश्क़ मे पले फिर भी
जाने क्यूँ आशिकि से जलता है जहाँ..
जुदा हुए गर जो हम, मर जायेंगे हमदम
खुदा की कसम हमे इश्क़ है बेपनाह.....।
आशिकों की जान लेती है ये दुनिया बेरहम....
चलो चलें इस जहाँ से कहीं दूर हम
इश्क़ करने वालों को मिलता है यहाँ पे गम.... ।
खुल के नाचे गायें इन वादियों मे
मोहब्बत के लिए मौसम सुहानी है..
बीत ना जाए जवानी के दिन, बहोत
छोटी सी जिंदगानी है..... ।
संभलना कहीं फिसल ना जाए अपने कदम...
चलो चलें इस जहाँ से कहीं दूर हम
इश्क़ करने वालों को मिलता है यहाँ पे गम..... ।
उम्र भर हम उड़ें इन बादलों के तले
इश्क़ समंदर ना कोई किनारा हो...
फूल खिले गुलशन मे, कहीं
मदभरी फिज़ाओं का इशारा हो..... ।
आखिरी सांस तलक साथ रहें,
मिले साथ फिर अगले जनम...
चलो चलें इस जहाँ से कहीं दूर हम
इश्क़ करने वालों को मिलता है यहाँ पे गम.... ।
~ मुन्ना प्रजापति (उ. प्र.)
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- आइए हम जीवन को आसान बनाएं,
कोई भी इस दुनिया से जिंदा नहीं निकलेगा। जिस जमीन के लिए आप लड़ रहे हैं और मारने को तैयार हैं, उस जमीन को कोई छोड़ गया है, वह मर चुका है, सड़ा हुआ है, और भुला दिया गया है। तुम्हारा भी यही हाल होगा। आने वाले 150 वर्षों में, आज हम जिन वाहनों या फोनों का इस्तेमाल अपनी शेखी बघारने के लिए कर रहे हैं, उनमें से कोई भी सदैव का साथी नहीं होगा। बीको, जीवन को आसान बनाओ । बहोत खुशी होती है मन को किसी को वास्तव में खुश करने मे, करके तो देखो ।
प्रेम को आगे बढ़ने दो। आइए एक दूसरे के लिए वास्तव में खुश रहें। कोई द्वेष नहीं, कोई चुगली नहीं। कोई ईर्ष्या नहीं। कोई तुलना नहीं। जीवन कोई प्रतियोगिता नहीं है। यह हमारा सौभाग्य है जो मनुष्य का तन मिला है । दिन के अंत में, हम सभी दूसरी तरफ पारगमन करेंगे। यह सिर्फ एक सवाल है कि वहां पहले कौन पहुंचता है, लेकिन निश्चित रूप से हम सभी किसी दिन वहां जाएंगे।
ये जीवन तो बिल्कुल सरल है, इसे दुखी और कठिन हम खुद ही बना देते हैं अन्य लोगों से तुलनात्मक भाव रखकर, इर्ष्या करके । हम क्यूँ दुखी होते हैं किसी की खुशी को लेकर , किसी को सफल देखकर! लेकिन नहीं...
जिस प्रेम से हमारा जन्म हुआ है हम उसी के दुश्मन हैं । बदलो खुद को दुनिया खुद ब खुद बदल जायेगी । ये संसार तो हम ही से है । जो रवैया अभी है यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन सर्वनाश निश्चित है । समझो ना,,तुम्हे तो उपर वाले ने सोचने समझने की शक्ति तो दी है । यहाँ अत्यधिक लोग अपनी ऊर्जा का उपयोग किसी दूसरे को मिटाने मे कर रहें हैं । ऊर्जा सही दिशा में लगाओ । जरा सोचो हमारे देश में 140 करोड़ लोग हैं, यदि सभी लोग एक दिशा में चलें तो हम कहा पहुँच सकतें हैं..... सोचो और चलो..... ।
~ Author Munna Prajapati
- आज कल न इस जगत में सब कुछ उल्टा हो रहा है /-
कोई नीति जब बनती है तो लगता है की यह सही है, हितकर है परंतु कुछ समय बाद पता चलता है की उस पर लागू नहीं होती जिसने उसे बनाया है । तो फिर.... 🥺
नदियों को माता कहा जाता है और देखें तो औसत रूप से नदियों को गंदा और दूषित करने मे हमारा ही हाथ है । तो फिर... 🥺
ये धरती हमारी माँ है । हम इसकी पूजा भी करते हैं और इस धरती पर सबसे ज्यादा दुष्कर्म ,हम ही कर रहें हैं । तो फिर...... 🥺
हमेशा प्रकृति के प्रतिकूल काम कर रहें हैं । और फिर कह रहें हैं की प्रकृति बदल रही है । नहीं....
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कोई चोर यु ही नही बनता है खुद से, गुनहगार खुशी से कोई गुनाह नही करता । उसके सामने हम ऐसे हालात खड़ा कर देते हैं की वह चोरी करता है या कोई गुनाह कर बैठता है । तो फिर.... 🥺
सामने वाला हमे इज्जत, सम्मान, प्यार जरूर देता और मुख्य रूप से देता भी है परंतु हम ही उसे बेशर्म और क्रूर बनने पर मजबूर कर देते हैं, उसे प्रतिउत्तर मे अपमान परोशकर । हम सामने वाले को अपने धन का, पद, प्रतिष्ठा का ,शक्ति का प्रताडन देकर । तो फिर... 🥺
प्रेम प्राकृतिक है । यही सृष्टि का एक मात्र आधार है । यह समाप्त हो गया अगर तो हमारा अस्तित्व समाप्त हो जायेगा । मोहब्बत करो और करने दो एक दूसरे से , मगर ...
तुम तो नफ़रत दिलों में पाल रहे हो । तो फिर.... 🥺
संत ने कहा, यह दुनिया मोह माया से घिरी हुयी है । दूर निकलो इन भावनाओं से, और तुम निकल गए । क्यूँ नही सोचा उसके बारे में, जिसने तुम्हे जन्म दिया और इस सोच के काबिल बनाया । वह स्त्री जिसको तुमने व्याह कर लाया । वह शिशु जो तुम्हारे नाम से इस धरा पर आया । तो फिर..... 🥺
✍️ Author Munna Prajapati #PostViral #post #realtalk #reallife #thoughts #writer #india #culture
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- किताबें पढने के लिए वक़्त कहाँ है किसी के पास, पूरी दुनिया तो परदे पर दिखायी जाने वाली काल्पनिक चलचित्रों के पीछे दौड़ रही है और अपने आप को अंधकार में लेकर जा रही है । जो जो वास्तवीक ज्ञान पुस्तकों में है वो चलचित्रों मे नही । आप एक मिनट से कम समय की वीडियो देखतें हैं और प्रत्येक मिनट के बाद दूसरी वीडियो देखतें हैं इनके बीच आप अपने मस्तिस्क की स्थिरता को बड़ी तेजी से बदलतें है ।
लगातार एक प्रभाव, दूसरा प्रभाव फिर तुरंत तीसरा प्रभाव, ऐसे ही लगातार स्थिरता, अपनी सोच, उद्देश्य, लक्ष्य आदि को बदलतें हैं जिसके वजह से आप अपने जीवन मे किसी एक लक्ष्य पर स्थिर नहीं रह पाएंगे । स्वभाविक सी बात है इस तरह की क्रियाएँ आपकी स्थिरता को भंग करती है और आप खुद को रोक नही पाते । जब कोई चीज थोड़ी सी ज्यादा समय लेती है या फिर समझ में नही आती तो आप उसे तुरंत छोड़ देते हैं । परंतु आप उसे समझने या किसी एक ही विषय पर गहरा अध्ययन करने की कोशिश नही करते । इंसान की यह सबसे बड़ी दुर्बलता है । जिससे कि वह अपने लक्ष्य को पाने मे चुक जाता है ।
कोई भी बड़ी चीज क्षणिक सोचने से या क्षणिक अध्ययन से पूर्ण नही होती उसके लिए वक़्त चाहिए होता है । और यह तो हमारे मस्तिस्क से निकल चुका है । एक मिनट से अधिक हम किसी एक विषय पर तो सोच ही नही सकते ।
हम जब तक रिल्स देख रहे होते हैं हमारा मस्तिस्क उसके विषय में सोचता है, जो हम देख रहे होतें हैं । परंतु किताबें, जिसमे प्रत्येक शब्द लिखे हुए हैं, उसे आप बार-बार पढ़ सकते हैं । उसे सोच सकते हैं । उसके अनुसार आप अपने जीवन को सक्रिय कर सकते हैं । यह जो मोबाइल फोन का दौर है, यह हमे उस अंधकार के तरफ ले कर जा रहा है जहाँ चारो तरफ कोई भी चराग़ नही । पुस्तकें मनुष्य का मार्गदर्शक हैं । ऐसा नहीं की मै पुस्तकें लिख रहा हूँ तो ही ये सारी बातें कर रहा हूँ! यदि आप इस बात का विचार करना चाहे तो भी नही कर सकते । और नाही यहा तक पहुँच सकतें है जहाँ तक हमने यह कल्पना की है । हम आधुनिक दौर मे जरूर जा रहे हैं परंतु यह भी सत्य है की हम अपने आप को कहीं खो रहें है ।
चलिए जरा सा सोच कर देखिये –
यदि गूगल बंद हो जाय ! यदि इंटरनेट काम ना करे तो हमारा क्या अवस्था हो जायेगा ।
जब मोबाइल का डाटा (इंटरनेट) समाप्त होता है तो इसके बगैर हम इक दिन नही रह पाते, कैसे भी हमे रिचार्ज करवाना ही है । इसका अर्थ यह है की हम किसी के अधीन होते जा रहें हैं । हमारी मानसिकता , हमारे मस्तिस्क पर किसी और का अधिकार हो रहा है । हम मानसिक रूप से किसी और का गुलाम होते जा रहें हैं । आप अपनी आँखें खोलिए और देखिये । हम 1947 मे आजाद हुए थे सत्य है मगर अब फिर हम खुद को गुलामी की तरफ ले जा रहें हैं , आधुनिकता समझकर ।
✍️😰✅🤔 Author Munna Prajapati
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