इस घटना को देख नेहा बोली,‘‘यह बच्चा भी न अभी से नखरे करना चालू कर दिया है। बहुत देर से सोया हुआ था। और जब जगा तो भी आँखें ही नहीं खोल रहा था। बस जब कोई नया व्यक्ति आ रहा है तो यह अपनी आँखें खोल रहा है और उसे एक बार देखने के बाद फिर से अपनी आँखों को बन्द कर ले रहा है। जैसे लगता है कि यह रील वाला कैमरा हो गया है जो परफेक्ट शॉट तैयार होने पर ही लोगों की तस्वीर लेकर शान्त हो जा रहा है कि कहीं रील जल्दी से भर न जाये। वैसे लगता है कि यह अपने कुँवारे नाना जी को पहचान गया है।‘‘
कमल शिशु की छवि को देखकर मोहित हो गया था। वह शिशु के प्रति वात्सल्यता को प्रदर्शित करना चाहता था। बच्चे को गोद में लेने के लिए उसने अपनी बाहों को आगे बढ़ाया तो मीरा ने उसे बच्चा दे दिया।
यह कमल का पहला अनुभव था कि उसने किसी नवजात शिशु को अपनी गोद में लिया था और वात्सल्य प्रेम कर रहा था। इसके पहले उसने कभी भी इतने कम समय के शिशु को गोद में नहीं लिया था। बच्चे की नाजुकता को भाँपते हुए उसने अपने बाहों को ढीला कर दिया परन्तु उसे ऐसी अनुभूति हुई कि उसके हाथ बेजान हो गये हैं जिससे कि उसके हाथ काँपने लगे। बच्चे को कहीं कुछ हो गया तो अनर्थ हो जायेगा। बच्चा स्वस्थ व सुरक्षित रहे इस बात का आशीष देते हुए कमल बच्चे को मीरा की गोद में दे दिया। फिर मीरा ने बच्चे को लेकर उसे उसकी माँ के पास बिस्तर पर लेटा दिया।
नेहा ने कमल से पूछा,‘‘चाचाजी, आपको अपने नाती को देखकर कैसा लगा?‘‘
कमल ने उत्तर देते हुए कहा,‘‘जब मैंने अपने नाती को देखा और लोग मुझे नानाजी कहने लगे। अपने लिये नानाजी शब्द सुनकर तो नवयुवक रहते हुए भी बुढ़ापे वाली फीलिंग आने लगी है।‘‘
यह सुनकर वहाँ मौजूद सभी लोग खिलखिलाकर हँसने लगे। तभी प्रीतम अपना हाथ सिर पर रख लिया।
क्रमशः आगे...5