शाम का समय था। कमल अपने कमरे में आराम कुर्सी पर आराम करने बैठा ही था कि थोड़ी ही देर बाद दरवाजे पर एक कार आकर रुकी। कार से लगातार हॉर्न की आवाज आने लगी। आवाज सुनकर कमल कार की तरफ आकर्षित हुआ तो पता चला कि आनन्द अपनी पत्नी मीरा के साथ पधारे थे।
तभी मीरा ने कमल से कहा,
-‘‘चलिये, अस्पताल चलिये। हम अस्पताल जा रहे हैं।‘‘
-‘‘क्यों? क्या हुआ?‘‘ (उत्सुकतावश कमल ने पूछा)
-‘‘अरे भई! आप नाना बन गये। मेरी बेटी नेहा का लड़का हुआ है।‘‘
-‘‘अच्छा! तो ये बात है, तब तो भाभीजी नाना सिर्फ मैं नहीं बल्कि हम बने हैं यानी मैं और आनन्द भैया और आप बन गयीं नानीजी।‘‘ (हल्की सी मुस्कान भरते हुए कमल ने कहा)
-‘‘हाँ! आप नाना तो बन गये हैं, मगर कुँवारे नाना। चलिए अब नाती को देख लीजिये।‘‘
-‘‘अच्छा, ठीक है। अभी पाँच मिनट में कपड़े बदलकर आ रहा हूँ।‘‘
कमल जल्दी से कपड़े बदलकर आया और कार में पीछे बैठ गया। आगे की सीट पर मीरा बैठी थी तथा आनन्द कार चला रहा था। हँसी-मजाक करते हुए सभी शहर के सरकारी महिला अस्पताल की ओर चल पड़े। गाड़ी रेलवे ओवरब्रिज को पार करते ही शहर में प्रवेश की। फुटपाथ पर लगे सब्जी की दुकानों, ट्रैफिक और गाड़ियों व लोगों के कोलाहल से होते हुए अस्पताल पहुँचे।
क्रमशः आगे...2