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कुँवारे नाना जी

4 October 2024

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कमरे में मरीजों के कई बिस्तर लगे हुए थे। और उनके परिजन आ-जा रहे थे। प्रवेश करते ही सामने वाले बिस्तर पर नेहा अपने नवजात शिशु के साथ बैठी फूलमती से बातें कर रही थी। बिस्तर के पास ही फर्श पर चटाई बिछाकर नेहा का खसम प्रीतम थोड़ा आराम कर रहा था। कमल को देखते ही नेहा खुशी से उछल पड़ी। तभी नेहा का भाई हर्ष आया जो कैन्टीन से भोजन लेने के लिए गया हुआ था। आते ही वह अपने चाचा कमल को प्रणाम करते हुए चरण स्पर्श करता है। फिर मीरा ने सबको मीठा खिलाकर पानी पिलाया। मरीज के अतिरिक्त किसी अन्य को बैठने की व्यवस्था नहीं थी। सभी वहाँ पर खड़े थे या फर्श पर अथवा मरीज के ही बिस्तर पर बैठे हुए थे।

पास में खड़ी प्रीतम की माँ सुमित्रा ने बगल में ही खाली पड़े बिस्तर की ओर इशारा करते हुए कमल से कहा,‘‘आप यहाँ बैठ जाइये।‘‘

कमल ने नम्रता पूर्वक आग्रह को नकारते हुए सुमित्रा से कहा,‘‘आप हमसे बड़ी हैं। कृपया आप बैठ जाइये।‘‘

तभी मीरा चुटकी लेती हुई बोल उठी,‘‘वाह! क्या बात है। सुमित्रा जी तो कमल जी का बड़ा खयाल कर रही हैं। और कमल जी का भी उनके प्रति कुछ ज्यादा ही स्नेह उमड़ रहा है।‘‘

फूलमती ने मीरा का साथ देते हुए कहा,‘‘हाँ, मीरा! सही कह रही हो। ये दोनों लोग एक दूसरे की बहुत चिन्ता कर रहे हैं। हाँ, ये ऐसा करेंगे भी क्यों नहीं। आखिर इन लोगों का सम्बन्ध जो भगतिन और छोटे भगत का है।‘‘

मीरा और फूलमती की बातें सुनकर सभी खिलखिला उठे। फिर मीरा ने नवजात शिशु को गोद में लेकर उसका चेहरा कमल को दिखाया। शिशु ने हल्की सी मुस्कान भरते हुए अपनी मनमोहक आँखें खोलीं और कमल को देखकर फिर अपनी आँखें बन्द कर लीं।

क्रमशः आगे...4

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कुँवारे नाना जी
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यह कहानी एक नवयुवक, कमल की है जो कुँवारे रहते हुए रिश्ते से नाना जी बन जाता है! कमल के ह्रदय और मन में उठने वाले मनोभावों को प्रस्तुत किया गया है! तथा उसके प्रति अन्य व्यक्तियों के व्यवहार को भी दर्शाया गया है! इसके साथ ही कुछ परम्सापराओं व सामाजिक पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है !
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शाम का समय था। कमल अपने कमरे में आराम कुर्सी पर आराम करने बैठा ही था कि थोड़ी ही देर बाद दरवाजे पर एक कार आकर रुकी। कार से लगातार हॉर्न की आवाज आने लगी। आवाज सुनकर कमल कार की तरफ आकर्षित हुआ तो पता चला

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अस्पताल के गेट के सामने उनकी कार रुकी और वे लोग अपने साथ लाये कुछ खाने-पीने का सामान लेकर वार्ड की तरफ चल दिये। तभी वार्ड के सामने खड़े शंकर की निगाह कमल पर पड़ी। कमल ख्यालों में खोये हुए आगे बढ़ता जा र

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कमरे में मरीजों के कई बिस्तर लगे हुए थे। और उनके परिजन आ-जा रहे थे। प्रवेश करते ही सामने वाले बिस्तर पर नेहा अपने नवजात शिशु के साथ बैठी फूलमती से बातें कर रही थी। बिस्तर के पास ही फर्श पर चटाई बिछाकर

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इस घटना को देख नेहा बोली,‘‘यह बच्चा भी न अभी से नखरे करना चालू कर दिया है। बहुत देर से सोया हुआ था। और जब जगा तो भी आँखें ही नहीं खोल रहा था। बस जब कोई नया व्यक्ति आ रहा है तो यह अपनी आँखें खोल रहा है

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कमल ने प्रीतम का हाथ नीचे करते हुए कहा,‘‘प्रीतम जी, आप क्यों चिंतित हो रहे हैं? बुढ़ापा तो मेरा आ गया है क्योंकि मैं नाना बन गया हूँ। अभी तो आप पिता ही बने हैं इसलिए घबराने की कोई बात नहीं है। अभी आप न

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कमरे में कड़कती हुई आवाज के साथ अस्पताल में काम करने वाली मुनरी का प्रवेश हुआ। उसने कमरे के अन्दर आते ही सबको डाँटना-फटकारना शुरू कर दिया। खाना खाते हुए लोगों से उसने कहा,‘‘आप लोग कमरे के बाहर चले जाइय

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कमल ने शिशु की तरफ इशारा करते हुए नेहा से कहा,‘‘क्या मैं इसकी फोटो खींच लूँ।‘‘ नेहा ने हामी भरते हुए व शिशु के कपड़ों को सही करते हुए कहा,‘‘हाँ-हाँ, क्यों नहीं। आप खींच लीजिए फोटो।‘‘ कमल ने फोटो खी

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रात के लगभग आठ बज चुके थे। हर्ष ने बताया,‘‘डॉक्टर साहब नेहा को कल सुबह अस्पताल से छुट्टी देंगे। इसलिए आज रातभर यहाँ रुकना पड़ेगा।‘‘ फिर आगे अपनी कुछ नाराजगी जताते हुए कहा,‘‘एक तो यहाँ दिन भर में दो वक्

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अपने बगल में आगे की सीट पर बैठे हुए कमल से आनन्द ने कहा,‘‘आपका शहर ठीक नहीं है। यहाँ की सड़कें बहुत खराब हैं। जहाँ देखिये वहाँ सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है कि सड़क पर गड्ढे नहीं बल्

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