मैं शिक्षक हु
मुझे गर्व होता है
जब देखती हु मेरे विद्यार्थियों को सफल होते हुए
गर्व होता है
जब देखती हु साकार उन सुनहरे सपनो को होते हुए
गर्व होता है
जब देखती हु मेरे स्नेह से सींचे हुए पौधो को एक मजबूत वृक्ष बनते हुए
गर्व होता है
जब देखती हु सारी बाधाओं को पार कर हर पल आगे बढ़ते हुए
गर्व होता है
जब देखती हु मेरे तराशे हुए पत्थरो को अनमोल हीरा बनते हुए
गर्व होता है
जब देखती हु मेरी दी हुई जीवन शिक्षा को संस्कार बनते हुए
“शालीन”
शालिनी चौहान
अजमेर