।।मैं राजकीय विद्यालय हू।।
आज बड़े दिनों बाद मेरा आंगन रोशन हुआ है। ग्रीष्मावकाश के बाद आज मैं फिर से जीवंत हुआ हूं। ओह! मैं आपको अपना परिचय देना तो भूल ही गया । मैं राजकीय विद्यालय हूं। देखने में मैं भले ही निजी विद्यालय जितना सुंदर नही हु पर हाँ मैं हमेशा साफ सुथरा रहता है। मैं खुद पर बहुत गर्व महसूस करता हूँ जब मैं यह देखता हूँ कि मैं बहुत सारे गरीब बच्चों को उनकी मंजिल पर पहुँचाने का जरीया हु। मैं राजकीय विद्यालय बच्चो को बड़े प्यार से खाना खिलाता हु।उनको आनंद से भोजन करते हुए देखना मुझे बहुत पसंद है।मैं मेरे बच्चो के पढ़ने के लिए नि:शुल्क किताबे भी देता हूँ। मेरे सभी बच्चे समान रूप से सुंदर दिखे इसलिए सजने संवरने के लिए सभी बच्चो को यूनिफॉर्म भी निःशुल्क देता हु। मैं राजकीय विद्यालय हूँ मैं कभी भी किसी बच्चे के साथ भेदभाव नहीं करता हूँ। सभी बच्चों को पढ़ने का समान अवसर प्रदान करता है। मैं कई सारी छात्रवृतियाँ भी देता हूँ जिससे बच्चे अपने सुनहरे भविष्य के सपने को साकार कर सके। मुझ तक पहुंचने में किसी भी बच्चे को परेशानी ना हो इसलिए मैं बच्चों को ट्रासपोर्ट वाउचर भी देता हूँ। बच्चों को विद्यादान देने के लिए गुणी अध्यापक महोदय मेरे आंगन को सुशोभित करते हैं, मैं अपने आंगन में इन सभी बच्चो की मस्ती देख कर बहुत खुश होता हूँ। बच्चे मेरे आंगन में खूब सारे खेल खेलते है।कभी रंगो की दुनिया सजाते है तो कभी गीत संगीत के सुर गाते है।जी हाँ मैं राजकीय विद्यालय हु और मुझे गर्व है कि मैं अनगनित आंखो में झिलमिलाते हुए सपने को साकार करने का जरिया हु। हमारे भारत देश में जहा शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है बच्चो के इसी अधिकार को पूरा करने के लिए मैं वचनबद्ध हु। हा गर्व से कहता हु” मैं राजकीय विद्यालय हु”।
सादर
शालिनी चौहान
अजमेर