कई कविताएँ लिखी होगी आपने और कई रचनाएँ सुनी होगी आपने
पर आज मैं कोई कविता नहीं अपनी मां का परिचय करवाने आई हूँ।
“मेरी माँ का पोशाक सदा तीन रंगो से सजता है, केसरिया रंग वीरता, श्वेत विश्व शांति और हरा हरियाली दर्शाता है”
“जिनके मुकुट में हिमालय राज जगमगा रहा है, चरणों में सागर सम्राट "हिन्द" देखो कैसे इठला रहा है”
“पजांब, सिन्ध, गुजरात, मराठा, उत्कल और बंग,
ये विशाल राज्य मेरी माँ के है गौरवशाली अंग”
“जिनकी नसों में गंगा, यमुना, सरस्वती जैसी पावन नदियाँ बहती है,
मेरी मां की हर मुस्कान में कश्मीर से केरल की खुबसुरत वादियाँ सजती है”
“वीर शिवाजी, आजाद, भगत, बोस वीर है अनेक जिन्होने अपनी जान गंवाई है,
पढ़ो मेरी माँ का स्वर्णिम इतिहास जिसमें अखण्डता और शौर्यता की सच्चाई है”
“गांधी पटेल, टैगोर, विवेकानंद जैसे युवा इस देश की पहचान है,
इनके जीवन से प्रेरित हर भारतवासी मान है”
“मेरी माँ का श्रृंगार यहाँ के तीज त्योहार करते है,
होली, दिवाली ईद, वैसाखी हर पल नया जोश भरते है”
“ दिल मेरी माँ का हिन्दी, संस्कृत जिसके प्राण है,
रंग-रंग में रंगी बोली यहाँ की सर्वगुणों की खान है”
“विश्व गुरु बन कर माँ ने अपना परचम लहराया है,
आज फिर हर हिन्दुस्तानी ने शान से तिरंगा फहराया है”
सादर
शालिनी चौहान
अजमेर