जहाँ कभी प्रेम की नदिया बहती थी। जहाँ पूरा गाँव एक परिवार की तरह रहता था। नित उत्सव, पुराण, कीर्तन और लोकगीत हुआ करते थे, आज गाँव में शराब और जातिवाद, नेतागिरी तथा लालच ने अब परिवार बिखर गए हैं। शराब ने शिष्टाचार के साथ सारे विकास को रोक दिया है।
2 October 2022