सतीश "बब्ब"
कुछ तो जादू है,
उसकी बातों में,
कुछ तो जादू है,
उसकी बोली में!
पता नहीं क्यों,
अच्छा लगता है,
हंसने को मन करता है,
कुछ तो जरूर है!
जबसे हुई हैं,
उससे बातें मुझसे,
बहुत ही प्यारा लगता है,
कुछ तो जादू है!
कुछ खोया - खोया सा,
मुझको लगता है,
उसका संदेशा आने से,
बहुत ही अच्छा लगता है!
क्या सचमुच बंधी है डोर,
मेरी उसके जीवन से,
दान की बेटी मेरी है,
ऐसा लगता है!
कुछ तो चक्कर है,
ऊपर वाले का,
कुछ तो जादू है,
उसकी आँखों का!!
सतीश "बब्बा"