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एक पेड़ लगा दो

12 October 2024

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धरती माता को उदास देख आसमान से रहा न गया।
मन में जो उमड़ रहे लाखो सवाल,एक एक कर पूछता रहा।

“क्यों नहीं ओढ़ती तुम चुनर वो बहारों की,क्यों नही करती श्रृंगार तुम हरियाली की।
नदियों में अपने सुंदर रूप को निहारती क्यों नही
हवाओ के साथ बलखाती लहराती क्यों नही
क्यों ये दिन में फैला काला सा अंधियारा है
तेरे तन पे किसने ये निशान सा कर डाला है”

एक एक कर धरती ने सब समझाया
इस  दुर्दशा का जिम्मेदार है कोन ये बतलाया
“समुद्र में फैला जहर,जमी पर फैला कहर
तेल के कुओं के निशान,प्रदूषण से काला होता आसमान
फैक्ट्री से निकला जहर,खाली बोतले और प्लास्टिक का सामान
खाली होती नदिया,बंजर होती जमीन
कहते कहते मां की आंखों से बह गया नीर”

सुन धरती की दास्तान आसमान घबराया
भविष्य की आशंका से उस पर भी खौफ छाया

धरती बोली पुकार के
सुन ले मेरे लाल
अगर जीना चाहते हो
नही चाहते की विनाश हो
तो
हटा दो ये फैला जहर
मिटा दो ये फैला कहर
जीवन ये खुशहाल बना दो
मेरा हरा भरा सिंगार लौटा दो

हर एक इंसान ……..एक पेड़
बस एक पेड़ लगा दो

शालीन

अजमेर


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Articles
शालीन
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