अंग्रेजी के अल्फाबेट्स पर बहुत कुछ पढ़ा होगा...कभी हिन्दी वर्णमाला का क्रमबद्ध इतना सुन्दर अद्भुत अद्वितीय अविस्मरणीय प्रयोग पढ़ा है कभी।
*अ*चानक
*आ* कर मैया से
*इ*ठलाते हुए बोले नंदलाल
*ई*श्वर मिलता हर मां में
*उ*त्तम सबसे नाम है माता
*ऊ*पर हो जो सब जीवों में
*ऋ*शि तुल्य अनमोल तुम माता
*ए*क अकेली शक्ति अनोखी
*ऐ*सी प्यारी ऐसी निराली
*ओ*ट लेती सब कष्ट अपने पर
*औ*र कभी ना परेशानी बताती
*अं*ग तुम्हारा खिला कमल सा
*अ:* तुम्हरा प्रेम मिलता हम सबको
*क*हती किसी से ना कष्ट वो अपना
*खा*ती अंत में, सबका पेट भरकर
*ग*र्व से रहती चाहे अभाव हो।
*घ*र तुमसे मां मंदिर बनता
*च*ल रहा सबका जीवन तुमसे
*छो*टी हो या बड़ी ग्रस्थी
*ज*गह दिल में सबके लिए है रखती
*झ*गड़े प्यार से सब बच्चो के निभाती
*ट*कराव बिना पूरा कुनबा पलता
*ठौ*र सदा माता के चरणों में
*डा*ली-डाली, पत्ते-पत्ते
*ढ*लता उसका सूरज भी हम सबको
*त*रावट की ठंडक दे जाता
*थ*कावट सारी दूर करती गोद उसकी
*दि*वस महीने बीते चाहे प्रेम में कमी कभी ना होती
*ध*न-धान्य से भरा रहता घर ।
*ना*दान-नियति से हम अनजान
*प्र*गतिशील बनाती परिवार को
*फ़* रेब के पुतलो की अक्ल ठिकाने लगती
*ब*नाती हम सबको समर्थ
*भ*ला हम नादान क्या जाने
*म* नुष्यता का अर्थ बताती
*य*ह प्रभु की अद्भुत
*र*चना रचती मानव जीवन की
*ला*लच-लोभ उसे ना छूता
*व*शीभूत होकर विचलित ना होती
*श* र्म-धर्म सब तजकर
*ष* ड्यंत्रों के खेतों में
*स*दा संस्कार-बीजों को बोकर
*हो* कर स्वयं से दूर
*क्ष*णभंगुर सुख में अटक
*त्रा* स को कभी ना आमंत्रित करती
*ज्ञा* न-पथ से भटके बालक को
*श्रे* ष्ठ पथ पर सदा ले जाती
स्वराचित संगीता पीयूष गुप्ता
जीवन की बगिया से