तेरी यादमें
https://youtu.be/tkXYnuqwkyc?si=ZH-mKtiEdsndIXJX
बैठे - बैठे अक्सर ना जाने किस दुनिया में खो जाती हूं,
न जाने क्यूं है उसकी सोच में गुम हो जाती हूं।
कहने को बहुत सी भीड़ है दायरे में मेरे
पर दिल की कमरे में
खुद को अकेला ही पाती हूं।।
लोग जो कहते हैं कि सब को जाना है
आदत हो जायेगी मुझे भी तुम्हारे जाने की
कोई और मिल जाए शायद तुम्हारे जैसा
मिल भी गया तो वो तुम ना होंगे
ना तुम सा एहसास होगा उसमे
मेरे एहसास जागे भी तो वो मेरा होगा या नहीं
ज़रूरत पड़ने पर ..कांधे पर हाथ रख पाऊंगी उसके
कहीं पर,कोई तो होगा..जो मुझे भी समझेगा तुम्हारी तरह
इसी उम्मीद पर बस आगे बढ़ने की कोशिश में हू
लेकिन क्या वो भावना# किसी में जगा पाऊंगी कभी
बैठे - बैठे अक्सर खो जाती हूं।।
आज भी उसके नाम से झुर झुर्री सी
दौड़ जाती है नसों में
देखते ही उसकी तस्वीर
कुछ पल और बढ़ जाती है जिंदगी
लिखती रहती हूं उसे रात# भर जागकर दिल की कलम से
आज भी हर पल उसका इंतजार रहता है
पूरी जिंदगी इंतजार रहेगा शायद
केवल एक बार सीने से उसके लगकर
फिर उस अपनेपन# के एहसास# को
महसूस करने का।
वरना खुली रहेंगी आंखे#
आखिरी सांस# के बाद भी इस तड़प में ।
आए वो या उसके जैसा कोई फिर एक बार करवजाए सांसे मेरी पूरी
वरना अधूरी आत्मा यूं ही तड़पती# रहेगी
भटकती रहेगी जन्मों तक इंतजार# में तुम्हारे।
बैठे - बैठे आज भी अक्सर ना जाने किस दुनिया में खो जाती हूं उसकी याद# में
स्वरचित
संगीता पियूष गुप्ता
जीवन की बगिया से