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शरद पूर्णिमा

16 October 2024

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सुना था शरद पूर्णिमा की चांदनी में मिलते है दो प्रेमी
मगर मेरा चाँद तो ख़ामोश है कहीं
सोचते है हम भी उस से कोई बात न करें
पूछेंगे मेरे चाँद का पता 
गर अकेले में रात मिल जाए
आवाज़ तो दी थी मैने मेरे चाँद को 
अंजान तन्हा मुसाफिर सोच वो  मुंह फेर चल दिया  
मेरा चाँद कह के गया था कि आज जरूर निकलेगा
बैठी हूं इंतज़ार में न जाने कितनी शामो से मैं

स्वरचित संगीता पीयूष गुप्ता 

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