shabd-logo

उत्तराखंड की जिया रानी

6 June 2023

274 Viewed 274
आज हम इतिहास के पन्नों से किस्सा लेकर आ रहे हैं एक ऐसी वीरांगना का जिन्हें उत्तराखंड (कुमाऊँ) की लक्ष्मीबाई के नाम से जाना जाता है। यह नाम है- ‘रानी जिया’। जिस प्रकार झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम स्वतंत्रता संग्राम के पृष्ठों पर स्वर्णाक्षरों में अंकित है, उसी तरह से उत्तराखंड की अमर गाथाओं में एक नाम है जिया रानी का।

खैरागढ़ के कत्यूरी सम्राट प्रीतमदेव (1380-1400) की महारानी जिया थी। कुछ किताबों में उसका नाम प्यौंला या पिंगला भी बताया जाता है। जिया रानी धामदेव (1400-1424) की माँ थी और प्रख्यात उत्तराखंडी लोककथा नायक ‘मालूशाही’ (1424-1440) की दादी थी ।

उत्तराखंड के प्रसिद्ध कत्यूरी राजवंश का किस्सा
कत्यूरी राजवंश भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक मध्ययुगीन राजवंश था। इस राजवंश के बारे में माना जाता है कि वे अयोध्या के शालिवाहन शासक के वंशज थे और इसलिए वे सूर्यवंशी कहलाते थे। इनका कुमाऊँ क्षेत्र पर छठी से ग्यारहवीं सदी तक शासन था। कुछ इतिहासकार कत्यूरों को कुषाणों के वंशज मानते हैं।

बागेश्वर-बैजनाथ स्थित घाटी को भी कत्यूर घाटी कहा जाता है। कत्यूरी राजाओं ने ‘गिरिराज चक्रचूड़ामणि’ की उपाधि धारण की थी। उन्होंने अपने राज्य को ‘कूर्मांचल’ कहा, अर्थात ‘कूर्म की भूमि’। ‘कूर्म’ भगवान विष्णु का दूसरा अवतार था, जिस वजह से इस स्थान को इसका वर्तमान नाम ‘कुमाऊँ’ मिला।

कत्यूरी राजवंश उत्तराखंड का पहला ऐतिहासिक राजवंश माना गया है। कत्यूरी शैली में निर्मित द्वाराहाट, जागेश्वर, बैजनाथ आदि स्थानों के प्रसिद्ध मंदिर कत्यूरी राजाओं ने ही बनाए हैं। प्रीतम देव 47वें कत्यूरी राजा थे जिन्हें ‘पिथौराशाही’ नाम से भी जाना जाता है। इन्हीं के नाम पर वर्तमान पिथौरागढ़ जिले का नाम पड़ा।

जिया रानी
जिया रानी का वास्तविक नाम मौला देवी था, जो हरिद्वार (मायापुर) के राजा अमरदेव पुंडीर की पुत्री थी। सन 1192 में देश में तुर्कों का शासन स्थापित हो गया था, मगर उसके बाद भी किसी तरह दो शताब्दी तक हरिद्वार में पुंडीर राज्य बना रहा। मौला देवी, राजा प्रीतमपाल की दूसरी रानी थी। मौला रानी से 3 पुत्र धामदेव, दुला, ब्रह्मदेव हुए, जिनमें ब्रह्मदेव को कुछ लोग प्रीतम देव की पहली पत्नी से जन्मा मानते हैं। मौला देवी को राजमाता का दर्जा मिला और उस क्षेत्र में माता को ‘जिया’ कहा जाता था इस लिए उनका नाम जिया रानी पड़ गया।

पुंडीर राज्य के बाद भी यहाँ पर तुर्कों और मुगलों के हमले लगातार जारी रहे और न सिर्फ हरिद्वार बल्कि उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊँ में भी तुर्कों के हमले होने लगे। ऐसे ही एक हमले में कुमाऊँ (पिथौरागढ़) के कत्यूरी राजा प्रीतम देव ने हरिद्वार के राजा अमरदेव पुंडीर की सहायता के लिए अपने भतीजे ब्रह्मदेव को सेना के साथ सहायता के लिए भेजा जिसके बाद राजा अमरदेव पुंडीर ने अपनी पुत्री मौला देवी (रानी जिया) का विवाह कुमाऊँ के कत्यूरी राजवंश के राजा प्रीतमदेव उर्फ़ पृथ्वीपाल से कर दिया।

उस समय दिल्ली में तुगलक वंश का शासन था। मध्य एशिया के लूटेरे शासक तैमूर लंग ने भारत की महान समृद्धि और वैभव के बारे में बहुत बातें सुनी थीं। भारत की दौलत लूटने के मकसद से ही उसने आक्रमण की योजना भी बनाई थी। उस दौरान दिल्ली में फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ के निर्बल वंशज शासन कर रहे थे। इस बात का फायदा उठाकर तैमूर लंग ने भारत पर चढ़ाई कर दी।

वर्ष 1398 में समरकंद का यह लूटेरा शासक तैमूर लंग, मेरठ को लूटने और रौंदने के बाद हरिद्वार की ओर बढ़ रहा था। उस समय वहाँ वत्सराजदेव पुंडीर शासन कर रहे थे। उन्होंने वीरता से तैमूर का सामना किया मगर शत्रु सेना की विशाल संख्या के आगे उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

उत्तर भारत में गंगा-जमुना-रामगंगा के क्षेत्र में तुर्कों का राज स्थापित हो चुका था। इन लुटेरों को ‘रूहेले’ (रूहेलखण्डी) भी कहां जाता था। रूहेले राज्य विस्तार या लूटपाट के इरादे से पर्वतों की ओर गौला नदी के किनारे बढ़ रहे थे।

इस दौरान इन्होंने हरिद्वार क्षेत्र में भयानक नरसंहार किया। जबरन बड़े स्तर पर मतपरिवर्तन हुआ और तत्कालीन पुंडीर राजपरिवार को भी उत्तराखंड के नकौट क्षेत्र में शरण लेनी पड़ी जहाँ उनके वंशज आज भी रहते हैं और ‘मखलोगा पुंडीर’ के नाम से जाने जाते हैं।

लूटेरे #तैमूर ने एक टुकड़ी आगे पहाड़ी राज्यों पर भी हमला करने के लिए भेजी। जब ये सूचना जिया रानी को मिली तो उन्होंने फ़ौरन इसका सामना करने के लिए कुमाऊँ के राजपूतों की एक सेना का गठन किया। तैमूर की सेना और जिया रानी के बीच रानीबाग़ क्षेत्र में भीषण युद्ध हुआ, जिसमें तुर्क सेना की जबरदस्त हार हुई।

इस विजय के बाद जिया रानी के सैनिक कुछ निश्चिन्त हो गए लेकिन दूसरी तरफ से अतिरिक्त मुस्लिम सेना आ पहुँची और इस हमले में जिया रानी की सेना की हार हुई। जिया रानी एक बेहद खूबसूरत महिला थी इसलिए हमलावरों ने उनका पीछा किया और उन्हें अपने सतीत्व की रक्षा के लिए एक गुफा में जाकर छिपना पड़ा।

जब राजा प्रीतम देव को इस हमले की सूचना मिली तो वो जिया रानी से चल रहे मनमुटाव के बावजूद स्वयं सेना लेकर आए और मुस्लिम हमलावरों को मार भगाया। इसके बाद वो जिया रानी को अपने साथ पिथौरागढ़ ले गए।

पिता की मृत्यु के बाद अल्पवयस्क धामदेव बने उत्तराधिकारी
राजा प्रीतमदेव की मृत्यु के बाद पुत्र धामदेव को राज्य का कार्यभार दिया गया किन्तु धामदेव की अल्पायु की वजह से जिया रानी को उनका संरक्षक बनाया गया। इस दौरान मौला देवी (जियारानी) ने बेटे धामदेव के संरक्षक के रूप में शासन किया, रानी स्वयं शासन संबंधी निर्णय लेती थी और राजमाता होने के चलते उन्हें जिया रानी भी कहा जाने लगा।

वर्तमान में जियारानी की रानीबाग़ स्थित गुफा के बारे में एक दूसरी कथा भी प्रचलित है। कत्यूरी वंशज प्रतिवर्ष उनकी स्मृति में यहां पहुँचते हैं। कहते हैं कि कत्यूरी राजा प्रीतम देव की पत्नी रानी जिया यहाँ चित्रेश्वर महादेव के दर्शन करने आई थी। जैसे ही रानी नहाने के लिए गौला नदी में पहुँची, वैसे ही तुर्क सेना ने उन्हें घेर दिया।

इतिहासकारों के अनुसार जिया रानी बेहद खूबसूरत और सुनहरे केशों वाली सुन्दर महिला थी। नदी के जल में उसके सुनहरे बालों को पहचानकर तुर्क उन्हें खोजते हुए आए और जिया रानी को घेरकर उन्हें समर्पण के लिए मजबूर किया लेकिन रानी ने समर्पण करने से मना कर दिया।

कुछ इतिहासकार बताते हैं कि जिया रानी के पिता ने उनकी शादी राजा प्रीतम देव के साथ उनकी इच्छा के विरुद्ध की थी जबकि कुछ कथाओं के आधार पर मान्यता है कि राजा प्रीतमदेव ने बुढ़ापे में जिया से शादी की। विवाह के कुछ समय बाद जिया रानी की प्रीतम देव से अनबन हो गयी और वो अपने पुत्र के साथ गौलाघाट चली गई, जहाँ उन्होंने एक खूबसूरत रानीबाग़ बनवाया। इस जगह पर जिया रानी 12 साल तक रही थी।

दूसरे #इतिहासकारों के अनुसार एक दिन जैसे ही रानी जिया नहाने के लिए गौला नदी में पहुँची, वैसे ही उन्हें तुर्कों ने घेर लिया। रानी जिया शिव भक्त और सती महिला थी। उन्होंने अपने ईष्ट देवता का स्मरण किया और गौला नदी के पत्थरों में ही समा गई।

लूटेरे तुर्कों ने उन्हें बहुत ढूंढा लेकिन उन्हें जिया रानी कहीं नहीं मिली। कहते हैं उन्होंने अपने आपको अपने लहँगे में छिपा लिया था और वे उस लहँगे के आकार में ही शिला बन गई थीं। गौलानदी के किनारे आज भी एक ऐसी शिला है जिसका आकार कुमाऊँनी पहनावे वाले लहँगे के समान हैं। उस शिला पर रंगीन पत्थर ऐसे लगते हैं मानो किसी ने रंगीन लहँगा बिछा दिया हो। वह रंगीन शिला जिया रानी का स्मृति चिन्ह माना जाता है।

इस रंगीन शिला को जिया रानी का स्वरुप माना जाता है और कहा जाता है कि जिया रानी ने अपने सतीत्व की रक्षा के लिए इस शिला का ही रूप ले लिया था। रानी जिया को यह स्थान बेहद प्रिय था। यहीं उन्होंने अपना बाग़ भी बनाया था और यहीं उन्होंने अपने जीवन की आखिरी साँस भी ली थी। रानी जिया के कारण ही यह बाग़ आज रानीबाग़ नाम से मशहूर है।

रानी जिया हमेशा के लिए चली गई लेकिन उन्होंने वीरांगना की तरह लड़कर आख़िरी वक्त तक तुर्क आक्रान्ताओं से अपने सतीत्व की रक्षा की।

वर्तमान में प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर 14 जनवरी को चित्रशिला में सैकड़ों ग्रामवासी अपने परिवार के साथ आते हैं और ‘जागर’ गाते हैं। इस दौरान यहाँ पर सिर्फ ‘जय जिया’ का ही स्वर गूंजता है। लोग रानी जिया को पूजते हैं और उन्हें ‘जनदेवी’ और न्याय की देवी मना जाता है। रानी जिया उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र की एक प्रमुख सांस्कृतिक विरासत बन चुकी हैं।

इस देश के लगभग सभी क्षेत्र में शौर्य, बलिदान और त्याग की पराकाष्ठाओं के अनेक उदाहरण मौज़ूद हैं। लेकिन संसाधनों की कमी के कारण देशभर में तमाम ऐसे नायक-नायिकाओं को उस स्तर की पहचान नहीं मिल पाई, जिसके वो हक़दार हैं।
13
Articles
आत्मबोध
0.0
आत्मा और हृदय से निकले भाव की शब्दो में अभिव्यक्ति मात्र है यह किताब, जिसमें मेरी भाव काव्य , कथा कहानी रूप में लिपिबद्ध है
1

कथित देश भक्ति

6 June 2023
2
0
0

इग्लैंड और फ्रांस के बीच चलने वाली एक ट्रेन जो इग्लैंड जा रही थी उसमें मुसाफिर लगभग भर चुके थे सिर्फ एक सीट खाली रह गई थी। ट्रेन चलने से थोड़ी देर पहले एक अंग्रेज शख्स आया और उस सीट पर बैठ गया। बगल मे

2

सेंगोल: न्याय का दंड विधान

6 June 2023
1
0
0

सेन्गोल : शासक पर नियंत्रण का प्रतिक आत्मबोध। ब्रह्मा ने सृष्टि की उत्पति की।पालन का काम विष्णू ने किया। संहार अर्थात विलय का काम शिव के जिम्मे गया।प्रजापति ने राजा बनके व्यवस्था सम्भाला। प्रजापत

3

आधुनिक सोनेट का अनुपम किताब

6 June 2023
0
0
0

आधुनिक सॉनेट का अनुपम संग्रह है ‘एक समंदर गहरा भीतर’बिमल तिवारी “आत्मबोध”।अंग्रेज़ी और फ्रेंच साहित्य को पढ़ते समय मैं सॉनेट रूप में कई गीत, कविताओं को पढ़ा। जो नाटक के साथ साथ प्रेम , सौंदर्य आधारित थी।

4

अगर ब्लैडर चोक हो जाए

6 June 2023
0
0
0

*अगर ब्लैडर चोक हो जाए...* मूत्राशय भरा हुआ है, और पेशाब नहीं हो रहा है, या पेशाब करने में असमर्थ हो रहे हैं.. तो क्या करें?? 👉यह एक प्रसिद्ध एलोपैथी

5

बागेश्वर धाम सरकार

6 June 2023
0
0
0

1997 में अपनी मौत के 5 साल बाद #मद_टेरेसा ने 2002 में मोनिका बेसरा नाम की एक लड़की का पेट का ट्यूमर सिर्फ अपनी तस्वीर से ही ठीक कर दिया। इसके छह साल बाद 2008 में मदर टेरेसा ने कोमा में जा चुके एक व्यक्

6

तुलसी दास जी के दोहे

6 June 2023
0
0
0

तुलसीदास के दोहे और विवाद-------------‐-------------------------- "ढोल गवार शूद्र पशु नारी , सकल ताड़ना के अधिकारी", यह बात वाल्मिकी जी लिखे होते, तो लगभग चल सकता था। क

7

लॉर्ड कार्नवालिस

6 June 2023
0
0
0

वो 1791 में मई की गर्म शाम थी। लार्ड कॉर्नवालिस उदासी और निराशा में गोते लगा रहे थे। टीपू की बेजोड़ युद्ध नीति के कारण श्रीरंगपट्टनम का घेरा उठाना पड़ा था। ब्रिटेन में उनकी थू-थू हो रही थी। जेम्स

8

मुंबई की लोकल ट्रेन

6 June 2023
0
0
0

मुंबई की यात्रा मुंबई की लोकल ट्रेन से बिमल तिवारी मुंबई। जब आप मुंबई जाते है और वहां की लोकल ट्रेन से यात्रा नही करते है।तो यकीन मानिए आपने मुंबई यात्रा का सबसे अनूठा माध्यम नही देखा। विख्यात मु

9

उत्तराखंड की जिया रानी

6 June 2023
0
0
0

आज हम इतिहास के पन्नों से किस्सा लेकर आ रहे हैं एक ऐसी वीरांगना का जिन्हें उत्तराखंड (कुमाऊँ) की लक्ष्मीबाई के नाम से जाना जाता है। यह नाम है- ‘रानी जिया’। जिस प्रकार झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम स

10

आनंद का अनन्त श्रोत है अनन्त कथामृत

6 June 2023
0
0
0

पुस्तक - अंनत कथामृतलेखक - प्रकाश चंद जोशी “मुकुंदा”प्रकाशक - श्री कैंची हनुमान मंदिर एवं आश्रम कैंची धाम नैनीताल उत्तराखंडबिमल तिवारी “आत्मबोध”। क़िताब पढ़ना वास्तव में असली आंनद है। हम कह सकते है कि क

11

सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि

11 June 2023
1
0
0

सिन्धु घाटी की लिपि : क्यों अंग्रेज़ और कम्युनिस्ट इतिहासकार नहीं चाहते थे कि इसे पढ़ाया जाए! 🔰▪️इतिहासकार अर्नाल्ड जे टायनबी ने कहा था - विश्व के इतिहास में अगर किसी देश के इतिहास के साथ सर्वाधिक छे

12

राममय जगत

16 January 2024
0
0
0

राम से इतिहास,भूगोल,देश औ संसार हैंराम इस धरा पर, प्रत्यक्ष ब्रह्म अवतार हैंजीव,जगत,ब्रह्मांड कुछ नहीं राम के बिनाज्ञान विज्ञान ईमान का राम नाम सार हैंराम में रम जाए तो,नहीं हिंसा फ़साद हैंराम के

13

मोदी को सुझाव

14 June 2024
0
0
0

#अपेक्षाएंमोदीजी अब आप अपने इस व्यर्थ के विनम्र रूप को त्यागकर उस कार्य को कीजिये जिसकी आपसे अपेक्षाएं हैं--1)परिवार नियोजन कानून:- अगर किसी भी दंपत्ति के दो से ज्यादा बच्चे हों तो वह किसी भी सरकारी य

---