#अपेक्षाएं
मोदीजी अब आप अपने इस व्यर्थ के विनम्र रूप को त्यागकर उस कार्य को कीजिये जिसकी आपसे अपेक्षाएं हैं--
1)परिवार नियोजन कानून:- अगर किसी भी दंपत्ति के दो से ज्यादा बच्चे हों तो वह किसी भी सरकारी योजना का लाभार्थी नहीं होगा । साथ ही उस दंपत्ति का वोटिंग अधिकार निरस्त किया जाए।
2)वोटिंग कानून:- मतदाता द्वारा मतदान न कर पाने का औचित्यपूर्ण कारण एफीडेविड पर देना अनिवार्य हो और जो न दे सके उसका मताधिकार अगले विधानसभा व लोकसभा चुनावों के लिए निरस्त कर दिया जाए।
3)सिविल सेवा कानून:-हिटलर ने माइन काम्फ में लिखा था कि अंग्रेजों को भारत तब छोड़ना पड़ेगा जब सिविल सेवा में भारतीयों का प्रभुत्व हो जाएगा और मुस्लिम इसी नीति पर चल रहे हैं। उर्दू साहित्य के कारण व जामिया मिलिया एएमयू के प्रोफेसर व मुसलिम प्रोफेसर मुस्लिम अभ्यर्थियों को हनक कर नम्बर दे रहे हैं तो ऐसी स्थिति में उनकी संख्या बढ़ रही है।
यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी अभ्यर्थियों की उत्तरपुस्तिकाएं क्रॉस चैक की जाएं ताकि इस सिविल सेवा जेहाद को रोका जा सके।
4)लव जेहाद विरोधी कानून:- यदि कोई भी अपनी धार्मिक पहचान छुपाता पाया जाए तो उसके विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही हो।
5)यूसीसी:- संभव हो तो इसे इन्हीं सौ दिन में सदन में प्रस्तुत करें, भले ही सरकार रहे या जाए। अगर आप इन सौ दिनों में विनिवेशी करण को ही अपना तूफानी निर्णय मान रहे हैं तो आप इतिहास में जनता को मूर्ख मानने वाले आत्ममुग्ध शासक के रूप में जाने जाएंगे।
ध्यान खूब कर लिया,
विकास बहुत कर लिया,
अर्थव्यवस्था बहुत सुधार ली,
अब उठिए और उस समस्या के विरुद्ध ठोस कदम उठाइये जिसके विरुद्ध भारत 654 ई. से संघर्ष कर रहा है और वह है -इस्लाम।
और मेहरबानी करके जफर सरेशवाला जैसे आस्तीन के साँपों को दूर रखिये और इस बार 'अब्बास' की कहानी सुनाकर इमोशनल होने का नाटक बंद कीजिए क्योंकि इन इमोशनल नाटकों की असलियत मुस्लिम भी जानते हैं और हम भी।