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कुछ कविताएं

शिवमणि"सफ़र"(विकास)

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कविता संग्रह 

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Parts

1

आंसू

4 January 2023
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सब के सो जाने के बादबिना किसी को पता चलेरात में बिस्तर परअपने बीते हुएदुःख में कटे लम्हों को याद करते हुएऔर फिर भविष्य में आने वालीसमस्याओं की कल्पना करते हुएजिसका तोड़ उनके पास नहीं हैंउन्हें तोड़ने

2

राहगीर

4 January 2023
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राहगीरों से हमबस राहें बनाते रह गएचलते चलते पता चलाबस राहों पर जाते रह गए।कभी कोई साथ आताकभी कोई छोड़ जातामेरे हिस्से में आया बस चलानाहम बस चलते चलते सब सह गए।कभी किसी से कुछ कहा नहींकभी किसी से कुछ म

3

गांव : आज-कल

8 January 2023
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तेज बारिशों के बौछारों से मिट्टी की दीवारें कमजोर हुई जा रही हैं|छत की पुआले सड़ी जा रहीं हैं|और खपरैल फूटे जा रहे हैं,एक-एक करके|गाँव का तालाबअब बहुत छोटा हो गया हैं|जिसे बस चार कदम में,नापा

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बारिश की बूंदे

9 January 2023
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बारिश की बूंदे शोर नहीं करती तूफानों सी बारिश की बूंदे कहर नहीं ढाहती नदियों सी बारिश की बूंदे नष्ट नहीं करती बाढो सी बारिश की बूंदे सूखे वृक्षों पर सूखे घासों पर रह गए प्यासों पर ढल कर उन्हें जीवन द

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अपना घर

30 January 2023
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अपना घर अपना होता हैं,बाकी सब सपना होता हैं,बस गुज़र बसर होती हैं, जिन्दगी भर,पर हम तन्हा ही रहते हैं, हर सफ़र।ढूंढते रहते हैं किसी अपने को,हर भीड़ में, हर राह पर,पर राहें चलती रहती हैं,किसी अनजाने ही

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मुझमें तू

6 February 2023
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उसकी आहट से,मैं चौकन्ना हो जाता हूं,ताकने लगता हूं इधर उधर,झांक कर खिड़कियों से देखता हूं,उठ कर दरवाजे को खोलता हूं।पर यहां तोकोई दिख ही नहीं रहा,आस पास नज़रें दौड़ता हूं,फिर भी कोई नहीं दिखा,कुछ भ्रम

7

किस्मत

23 September 2023
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कभी किसी अजनबी का,करों इंतजार तुम,एक अजनबी की तरह,एक दिन, कई दिनों तक, करों ऐतबार तुम,उसके मिलने का,फिर भी वो न मिले,तब थोड़ा-थोड़ा,मायूस से होने लगते हैं हम,पर वो अचानक कभी, अनजाने, अनचाहे रा

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जिन्दगी के रास्ते

23 September 2023
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जिन्दगी से दूर,कुसूर,उसका या किसी और का,न मालूम है उसको,न ही किसी और को। &n

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ऐ! दोस्त

17 November 2023
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ऐ! दोस्त, तुम्हारी यादों की आगोश में, अब जिंदगी कटती है| तुम्हारी बातों के जोश में, अब जिंदगी कटती है| जब तक तुम थे साथ, न थी कोई रोने वाली बात| अब तो पता ही नहीं लगता, कि कब आसूं बह आएंगे| अब दिन अके

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वो प्यार ही क्या

30 November 2023
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बस एक पल के लिएजब किसी परदिल ठहर जाएवो प्यार ही क्या।एक पल में फिर वोकिसी और के लिए मचल जाएवो प्यार ही क्या।जिस प्यार को पाने के लिएन कर सके थोड़ा इंतजारवो प्यार ही क्या।जिस प्यार कोजीने के

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आश्रित

6 January 2024
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गाँव और शहर की दूरी, महज एक नदी हैं, दोनों के बीच फलती-फूलती, एक सुन्दर कड़ी हैं| गाँव हरियाली और शांति का दूत, शहर आपाधापी और प्रगति का प्रतीक| दोनों का मेल नहीं, जरा भी एक-दूजे से, पर दोनों ही आश्रित

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पत्थर की दुनियां

12 April 2024
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चमकती इमारतों और आलीशान बंगलो,चमचमाती सड़कों और सजे हुए गमलों,ऊंचे ऊंचे हाइवे और बड़े बड़े आडिटोरियम,दमकते शहर और पथरीली गालियां।विकास के कितने प्रतीक हैं,पूरे या आधे- अधूरे।या आधे से भी कम,या कुछ भी

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