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अपना घर

30 January 2023

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अपना घर अपना होता हैं,
बाकी सब सपना होता हैं,
बस गुज़र बसर होती हैं, जिन्दगी भर,
पर हम तन्हा ही रहते हैं, हर सफ़र।

ढूंढते रहते हैं किसी अपने को,
हर भीड़ में, हर राह पर,
पर राहें चलती रहती हैं,
किसी अनजाने ही डगर।

मिलते हैं कई,
फिर खो जाते हैं,
कोई हमारा,
कभी हम किसी के हो जाते हैं।

फिर भी जब तन्हा होते कभी,
तो फिर याद आता हैं अपना घर,
अपना घर अपना होता हैं,
बाकी सब सपना होता हैं।

       --- शिवमणि"सफ़र"(विकास)







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कुछ कविताएं
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कविता संग्रह
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आंसू

4 January 2023
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सब के सो जाने के बादबिना किसी को पता चलेरात में बिस्तर परअपने बीते हुएदुःख में कटे लम्हों को याद करते हुएऔर फिर भविष्य में आने वालीसमस्याओं की कल्पना करते हुएजिसका तोड़ उनके पास नहीं हैंउन्हें तोड़ने

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राहगीर

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गांव : आज-कल

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बारिश की बूंदे

9 January 2023
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अपना घर

30 January 2023
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अपना घर अपना होता हैं,बाकी सब सपना होता हैं,बस गुज़र बसर होती हैं, जिन्दगी भर,पर हम तन्हा ही रहते हैं, हर सफ़र।ढूंढते रहते हैं किसी अपने को,हर भीड़ में, हर राह पर,पर राहें चलती रहती हैं,किसी अनजाने ही

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6 February 2023
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उसकी आहट से,मैं चौकन्ना हो जाता हूं,ताकने लगता हूं इधर उधर,झांक कर खिड़कियों से देखता हूं,उठ कर दरवाजे को खोलता हूं।पर यहां तोकोई दिख ही नहीं रहा,आस पास नज़रें दौड़ता हूं,फिर भी कोई नहीं दिखा,कुछ भ्रम

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ऐ! दोस्त, तुम्हारी यादों की आगोश में, अब जिंदगी कटती है| तुम्हारी बातों के जोश में, अब जिंदगी कटती है| जब तक तुम थे साथ, न थी कोई रोने वाली बात| अब तो पता ही नहीं लगता, कि कब आसूं बह आएंगे| अब दिन अके

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बस एक पल के लिएजब किसी परदिल ठहर जाएवो प्यार ही क्या।एक पल में फिर वोकिसी और के लिए मचल जाएवो प्यार ही क्या।जिस प्यार को पाने के लिएन कर सके थोड़ा इंतजारवो प्यार ही क्या।जिस प्यार कोजीने के

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12 April 2024
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