तेरे भजन मैं गाऊँ राम ,
नयनों में तुम्हें बसाऊँ राम ,
द्रुत गति से भागे जीवन ,
पाषाण युग मैं चाहूँ राम।
अपलक देखे जाऊँ राम,
तुझमें ही खो जाऊँ राम,
तेरी कृपा-दृष्टि जो मुझपे ,
दर्द न कोई पाऊँ राम।
ख़ुशियों की ज्योत जलाऊँ राम ,
बस तुझको ही गाऊँ राम ,
वाणी में मेरे घुल जाओ ,
हर सुर तुझसे ही पाऊँ राम।
बसा ह्रदय में तेरा नाम ,
सद्बुद्धि देना मुझको भगवान ,
जीवन-डोर है तेरे हाथों ,
हर साँस पुकारे , मेरे राम !
©अलका बलूनी पंत