इक बात जो मन में आई थी ,
लोगो ने सुन हंसी उड़ाई थी ,
दृढ़ निश्चय ये मन में था ,
पूरा करना वो सपना था।
शुरूआत हो पहले ये मैंने मन में ठाना है,
चाहे आए कठिनाई ,पहला कदम बढ़ाना है,
धीमे-धीमे चलूं , पर चलना रखना जारी है,
साथ दे या ना दे कोई, करनी ये कारगुजारी है,
साथ दूंगा खुद का मैं,
खुद पे निष्ठा ना खोऊँगा ,
धीरे - धीरे ही सही,
पर जनसमुह को जोड़ूंगा।
काफ़िला चल निकलेगा ,
प्रथम कदम की देरी है ,
एक निश्चय, संकल्प ज़रूरी ,
फिर सारी दुनिया मेरी है।
©अलका बलूनी पंत