इक बात जो मन में आई थी , लोगो ने सुन हंसी उड़ाई थी , दृढ़ निश्चय ये मन में था , पूरा करना वो सपना था। शुरूआत हो पहले ये मैंने मन में ठाना है, चाहे आए कठिनाई ,पहला कदम बढ़ाना है, धीमे-धीमे चलू
हर पल ये ज़िंदगी , रेत सी फिसल रही , कुछ ख़्वाब जो अधूरे हैं , जो हुए न अभी तक पूरे हैं , उन्हें भी तो पूरा करना है , मरने से पहले मुझको नहीं मरना है। माना इस समाज प्रति मेरी ज़िम्मेदारी है
पवित्र पावन गंगाआज तेरे चरणों में बैठकरमैं गीत गुनगुनाना चाहती हूंआज तेरी आती जाती लहरों के साथमैं अठखेलियां करना चाहती हूंआज तेरे पानी में अक्स देखकरबच्चों की तरह मचलना चाहती हूंआज तेरी आरती का दीप ज