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कच्ची उम्र की मोहब्बत

27 June 2023

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अमित देहरादून बस अड्डे पर दिल्ली वाली वाल्वो बस में बैठा, लगभग सभी सीटें भरी हुइ हैं, आखिरी सीट से पहले की सीट पर लगभग 18 साल की युवती बैठी हुई है, उसके बगल वाली सीट खाली है, परिचालक ने अमित को कहा कि आप उस सीट पर बैठ जाईए, अमित ने अपना बैग ऊपर रखा और सीट पर बैठ गया। कुछ देर बाद बस चल पड़ी, बगल में बैठी युवती कुछ परेशान सी लग रही थी, कभी वह उंगलियों को मरोड़ रही थी, कभी आगे वाली सीट पर सिर रखती और फिर कुछ देर बाद ही असंमजस की स्थिति में इधर उधर देखने लगती।

 अमित को लगा कि हो सकता है, इसको बस में उल्टी आदि होती होगी, बस का सफर इसके लिए आरामदायक ना हो इसलिए परेशान हो रही हो।

कुछ देर बाद उसने अपने पर्स से मोबाईल निकाला और उसे ऑन किया, लेकिन अगले ही क्षण उसने फिर स्वीच ऑफ कर दिया, अमित यह सब देख रहा था।  उसके माथे पर हल्का हल्का पसीना आ रहा था, वह रूमाल से पोछकर एक घूट पानी पिया और खिड़की से बाहर उहापोह की स्थिति में देखने लगी।

 मोहंड के रास्ते पर काम चल रहा था, सारे पेड़ कट चुके थे, फॉर लेन सड़क बन रही थी तो हरियाली की बलि तो देनी ही थी, यह सब विचार अमित के मन में उमड़ घुमड़ रहे थे।

   कुछ देर बाद अमित ने देखा कि युवती ने उस मोबाईल को निकाला और उसके सिम को निकालने का प्रयास करने लगी, लेकिन निकल नहीं रहा था, अमित ने अपने पर्स से सिम निकालने वाली पिन को पकड़ाते हुए कहा कि आप इससे निकाल दीजिए, युवती ने कहा नहीं धन्यवाद बस ऐसे ही टाईम पास कर रही हॅू। अमित को यह जबाब कुछ हजम नहीं हुआ और कहा कि सिम निकालकर टाईम पास से बजाय तो गाने सुन लो यह मेरे पास लीड़ है।

 युवती ने कहा मेरा अभी मूड़ नहीं है।

   अमित ने कहा कि बुरा ना मानो तो एक बात पूछ सकता हॅू।

युवतीः हॉ बिल्कुल पूछिये।

अमितः जब से मै बस में बैठा हॅू तब से आपको परेशान देख रहा हूँ, कोई समस्या है, घर परिवार में सब ठीक हैं, वैसे मैं आपके लिए अनजान व्यक्ति हॅूं, शायद आप मुझे अपनी परेशानी बताने में असहज महसूस करोगे, किंतु मैं आपको एक इंसानियत के नाते यह सब पूछ रहा हूॅ।

युवतीः घर में तो सब ठीक हैं, ऐसी कोई प्रोब्लम नहीं है।

अमितः लेकिन आपकी बेचैनी बता रही है, कि आप अपने अंदर से स्वयं किसी परिस्थितियों में फंसी हुई हो, और आप असंमजंस की स्थिति में हो।

युवतीः हड़बड़ाते हुए नहीं नहीं भैया ऐसी कोई बात नहीं है, सब ठीक है, एक लम्बी सांस में पूरा वाक्य बोलकर मुॅह दूसरी तरफ कर देती है।

अमितः चलो अगर ऐसा कुछ नहीं है तो फिर अच्छी बात है।

युवतीः जी धन्यवाद।

   कुछ देर तक दोनों चुप हो जाते हैं, ईधर अमित अपने फोन पर व्यस्त हो जाता है, युवती फिर फोन निकालती है और मैसेज चैक करके, फोन को फिर स्विच ऑफ कर देती है, युवती के पास जो फोन है, वह नया स्मार्ट फोन है, लग रहा है कि अभी दो तीन पहले ही जैसे खरीदा हो। लड़की फोन के तरफ देखकर बार-बार परेशान होते हुए नजर आती है।

 अमितः  क्या किसी का फोन नहीं लग रहा है, यदि नहीं लग रहा है तो मेरे फोन से आप बात कर सकती हैं।

युवतीः नहीं मुझे कोई बात नहीं करनी है किसी से।

अमित : जैसा आपको उचित लगे।
 लेकिन आपके चेहरे के मनोभाव से लग रहा है कि आप किसी संकट में है।

युवतीः पुनः हड़बडाते हुए कहती है, नहीं बस ऐसे ही थोड़ी तबियत ठीक नहीं लग रही है।

अमितः चलो अपना ध्यान तबियत से हटाने के लिए कुछ बात कर लेते हैं, ताकि सफर भी कट जाये। आपके परिवार में कौन कौन हैं।

युवतीः मॉ पापा और एक भाई। 
अमितः अच्छा मेरे परिवार में भी मॉ पापा और पत्नी एवं दो बच्चे हैं।

युवतीः आपकी शादी हो गयी। अभी तो आप कम उम्र के लग रहे हैं।

अमित : युवावस्था में हमने भी कुछ गलत निर्णय लेने वाले थे लेकिन फिर समय ने अक्ल दे दी और हम गलत राह पर चलने से बच गये।

युवतीः मैं समझी नहीं, शादी का गलत रास्ते पर चलने का फैसला कैसे गलत हो सकता है। क्या आपकी लव मैरिज थी।

अमितः सिर हिलाते हुए कहा कि हॉ लव मैरीज है किंतु बाद में अरेंज हो गयी।

युवतीः उत्सुकता से पूछा, ऐसे कैसे हो सकता है।

अमितः क्यों नहीं हो सकता है, बस समझ समझ का फेर है, और वक्त वक्त की बात है, जो वक्त की नजाकत को समझ जाता है, और कुछ समय के लिए वह सोच समझकर कदम उठा लेता है तो उसकी बिगड़ती जिंदगी बदल जाती है, और कभी कभी एक छोटा गलत निर्णय पूरे जीवन को कंलक लगा देता है।

युवतीः मैं समझी नहीं प्यार करना कोई गलत निर्णय कैसे हो सकता है, अपनी पंसद की शादी करना उसका निजी मामला है, इसमें कलंक वाली बात समझ से परे हैं।

अमितः युवती की मनोदशा को समझते हुए और उसके सवाल से समझ गया था कि यह भी जरूर कुछ गलत कदम उठाने जा रही है, आज इसे रोका नही तो इसका जीवन बर्बाद हो जायेगा।  अमित ने कहा जब मैं ग्रेजुएशन कर रहा था, अंकिता मेरी लाईफ में, आयी मै अतिंम साल में था और अंकिता फर्स्ट ईयर में थी।  कुछ मुलाकातों में ही हम एक दूसरे के करीब आ गये।

 युवतीः उसके बाद क्या हुआ।

अमितः अंकिता और मेरी नजदीकियॉ बढने लगी, यह बात अंकिता के घर पर पता चली तो उसके कॉलेज आना जाना उनके घरवालांं ने बंद कर दिया, उनको हमारा मिलना नागवार गुजरने लगा।
 
युवतीः अरे यह तो मॉ बाप की ज्यादायती है, बच्चों की भी तो अपनी जिंदगी है।

अमितः बिल्कुल मैने भी आपकी तरह ही सोचा था कि हमारी भी तो कोई जिंदगी है। प्यार का तूफान हमारे सिर पर सवार था, गलत सही का निर्णय हमें प्यार की भावनाओं ने हमसे छीन लिया था।  उस समय फोन नहीं हुआ करते थे, वह कभी एसटीडी से मेरे घर पर फोन कर देती या कोई खत अपनी सहेली के हाथ भेज देती।

युवतीः तुमने अपने घरवालों को बताया नहीं।

अमितः कैसे बताता, तब मैं खुद पढ रहा था, अपने पैरों पर खड़ा नहीं था, शादी कैसे करता, भाग कर भी जाता तो कहॉ, आना तो फिर घर पर ही था, और भाग कर शादी करने का फैसला हमेशा कंलक के रूप में हमारे पूरे जीवन पर लगा रहता यहॉ तक की हमारे बच्चों को भी इसके ताने सुनने पड़ते।

युवतीः आश्चर्यजनक नजरों से देखते हुए फिर क्या हुआ।

अमितः अंकिता मुझ पर दबाव बना रही थी, कई बार मेरे दिमाग में भी आया किन्तु मॉ बाप का डर समझो या उनका प्यार या हमारे लिए उनका समर्पण मेरे जेहन में आ जाता और मै भागने के निर्णय को टाल देता। ईधर एक दिन मेरी मुलाकात अंकिता से हुई और उससे वादा किया कि हम कुछ समय के लिए नहीं मिलेगे मुझे 06 माह का समय दो, यदि मेरा सैलेक्शन हो जाता है तो हम सबकी रजामंदी से शादी करेगें।

युवतीः अंकिता मान गयी तुम्हारी बात।

अमितः मान तो गयी, लेकिन बड़ी मुश्किल से उसे समझाया कि जब तक मॉ बाप राजी नहीं होते तब तक हम शादी नहीं कर सकते हैं, मैं आपके जीवन में अभी दो साल पहले ही आया हॅू, और आप अपने मॉ बाप के यहॉ तुम पैदा होते ही आ गये थे, तुम्हारे मॉ पिता ने तुम्हें लाड़ से पाला होगा, तुम्हारे हर नखरे उठाये होंगे, अपनी जरूरतों का बलिदान करके तुम्हारी हर मॉग पूरी की होगी, और फिर पढाई लिखाई से लेकर सदैव तुम्हारे हित में सोचा होगा। आज वह हमारे मिलने पर रोक लगा रहे हैं, उसमें भी उनका हमारे प्रति भले ही कठोर पन लग रहा है लेकिन सच्चाई यही है कि वह हमें बहुत प्यार करते हैं। मैं अपने माता पिता की फोटो और अब पत्नी यानी अंकिता की फोटो साथ में रखता हॅू कि यदि कभी कोई गलत कदम उठाने की सोचू तो एक बार उनकी तस्वीर देख लूॅ यह बात मेरे एक दोस्त ने कही थी।

  युवती। उसके बाद फिर क्या हुआ।

अमितः हम छह माह बाद मिलने का वादा लेकर गये और फिर मैने बैंक की तैयारी करनी शुरू कर दी, मेरा चयन हो गया उसके बाद मैंने अपने घर में अंकिता के संबंध में अपनी बात बड़े आदर भाव के साथ कही, मेरे पिताजी ने कहा कि मैं खुद अंकिता के घर जाकर तुम्हारी नौकरी की सूचना और तुम्हारे रिश्ते की बात करके आ जाता हॅू, उसके बाद मेरे पिताजी स्वंय वहॉ गये और फिर उन्होने मेरे रिश्ते की बात अंकिता के माता पिताजी से की तो वह भी राजी हो गये। यदि हम उस समय जवानी के जोश में गलत कदम उठा लेते तो शायद पूरे जीवन भर पछताते आज हमारे दोनों परिवार बहुत खुश हैं।

युवतीः वाकई में तुमने बहुत अच्छा निर्णय लिया। मैं जो गलत निर्णय ले रही थी तुमने मेरी जिंदगी को बर्बाद होने से रोक लिया भैया।

अमितः क्यों तुम ऐसा क्या करने जा रही थी।

युवतीः भैया मैं ऑन लाईन गेम खेलती थी जिसमें ऑन लाईन ही मेरी विशाल से दोस्ती हो गयी, उससे बातें होने लगी, वह बहुत अच्छी बातें करता है, उसके बाद हमने एक दूसरे को अपना नम्बर भी शेयर कर दिया, अब मेरे जीवन में विशाल की अहमियत बढने लगी है, मैं उससे बहुत ज्यादा प्यार करने लगी। मैनें अपने घर में कुछ नहीं बताया है,बस हमने भागकर शादी करने का निर्णय लिया है। उसने ही मुझे यह फोन गिफ्ट किया है और एक नया सिम भी खरीदकर दिया है, साथ ही उसने ही ऑनलाईन वाल्वॉे बस का टिकट भी मेरे लिए किया है, मैं गॉव से भागकर यहॉ आयी हॅू, वह मुझे दिल्ली में मिलेगा, वहॉ से हम बैंग्लौर चले जायेगें।

 अमितः अच्छा तभी तुम बार बार अपना फोन देख रही थी और सिम बदलना चाह रही थी।

युवतीः हॉ भैया, मैने फोन भी बंद इसलिए किया कि घर से फोन ना आ जाय या मेरी लोकेशन ना पता चल जाय।

अमितः देखो आप उस लड़के को ऑन लाईन मिली उसने तुम्हें बड़े ही चालाक ढंग से फॅसाया है, आप बुरा ना माने तो उसने आपके साथ सिर्फ छल नहीं किया बल्कि धोखाधड़ी भी कर रहा है, उसकी क्या गांरटी है कि वह तुम्हें खुश रखेगा जो इतनी चालाकी से तुम्हारे लिए सिम खरीद सकता है, तीन अलग अलग जगह की टिकट ले सकता है, वह तुम्हें आगे यूज करके ऐसे ही अपने जीवन से अलग कर सकता हैं ।

युवतीः भैया आप सही कह रहे हो मुझसे बहुत बड़ी भूल होने जा रही थी। युवती ने पर्स से सिम निकाला और उसको वहीं पर तोड़कर अपने घर पापा को फोन लगाया और रूवांसे गले से कहा सॉरी पापा मैं गलती करने जा रही थी, लेकिन मैं अभी वापस घर आ रही हूॅ।

अमितः आप वाकई में घर जा रही हो या फिर उस लड़के के साथ।

युवतीः नहीं भैया, अब मैं अपने मॉ पिताजी के पास जा रही हॅू। आपने मुझे जो बताया वह सब अब मेरे सामने आ गया है। मैं अब यह गलती भूल से भी नहीं कर सकती हॅू।

अमितः चलो देर आये दुरस्त आये। सुबह का भूला हुआ शाम को वापिस आ जाय उसे भटका हुआ नहीं कहा जाता है।

   युवती मेरठ बस अड्डे पर उतरकर वापिस देहरादून वाली बस में बैठ गयी और एक सुकून भरी सांस लेकर अमित को बॉय कहा, अमित को लगा कि चलो आज एक जिदंगी उजड़ने से बच गयी। 

हरीश कंडवाल मनखी की कलम से।
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