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आजादी

1 August 2023

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मानसी और तुलसी दोनों बहिने हैं, वह छुट्टी के बाद अपने घर जा रही थी, मानसी ने देखा कि सामने एक 7 साल का लड़की तिरंगा झण्डा बेच रही है, वह गाड़ी वाले के शीशे खटखटाती है, गाड़ी में बैठे लोग उसकी तरफ नहीं देखते  हैं और गाड़ी आगे चला देते हैं।  मानसी ने तुलसी से कहा कि देखो वह लड़की स्कूल नहीं जाती है और झंडा बेच रही है, लेकिन उससे कोई खरीद नहीं रहा है, मॉ ने जो दस-दस रूपये दिये थे, कि आज चिप्स खा लेना, हम उस लड़की से दो झण्डे खरीद लेते हैं, उसको बीस रूपये मिल जायेगें।

   मानसी और तुलसी दोनों उस लड़की के पास गये और उससे वह झण्डा खरीद लिया, तुलसी ने कहा बहिन तुम स्कूल नहीं जाती हो, लड़की ने कहा नहीं मैं आज स्कूल नहीं गयी, क्योंकि मॉ को घर में बुखार है, और पिताजी नहीं हैं, शाम को सब्जी लेनी हैं, तो घर में रूपये नहीं हैं मॉ परेशान थी तो मैं झण्डे बेचने आ गयी। 

मानसी और तुलसी ने कहा कि तुम्हारा घर कहॉ है, उसने बताया कि मेरा घर यहीं पास में ही है, उसके बाद दोनों बहिनें झण्डा लेकर घर आ गयी। घर आकर अपनी मॉ को बताया कि आज उन्होनें चिप्स नहीं लिये और एक लड़की से यह झण्डे खरीद लिये। मॉ ने उनकी बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। शाम को पापा आये तो तुलसी कुछ उदास थी तो पापा ने कहा कि क्या हुआ तुलसी तुम चुप और उदास क्यों हो। तुलसी ने दिन की बात बता दी, पापा ने कहा कि चलो उनके घर चलते हैं, दोनों पापा के साथ बाईक में बैठकर उस लड़की के घर गये, मॉ सही में डेंगू बुखार से चारपाई में लेटी थी।  मानसी के पापा ने उस लड़की से सब झण्डे खरीद लिये और दो सौ रूपये अधिक देकर कहा कि मॉ के लिए दवाई लेकर आ जाओ।

     मानसी और तुलसी दोनों कुछ देर उस लड़की के घर में खेलते रहे।  उसके बाद वह अपने पापा के साथ घर आ गये। पापा ने दोनों को गले लगाते हुए कहा कि आज तुमने सही मायने में इंसानियत दिखाई और हमें भी राह दिखाई कि जरूरत मंद लोगों की मदद करनी चाहिए, हम बड़े बड़े बाजार में जाकर हजारों रूपये लौटा देते हैं, किंतु सड़क के किनारे छोटी छोटी चीज लेना छोड़ देते हैं, वहीं हमव ही सामान बड़े बाजार से खरीद लेते हैं, जबकि सड़क के किनारे अबोध बच्चे जो सामान बचे रहे हैं, वह मजबूरी में बेच रहे होते हैं, जैसे कि वह लड़की बेच रही थी, मानसी और तुलसी आज तुमने हमारा सिर उॅचा कर दिया है और देखो जो झण्डा तुम लाये हो उसे हम बाहर लगा देते हैं, तुम्हारे आज के इस काम से खुश होकर वह भी लहरायेगा, यही तो हमारी असली आजादी है, यही सनातन एवं पुरातन भारत है। 

हरीश कण्डवाल मनखी की कलम
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आईना बता

24 March 2023
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आईना बता कैसे उनका दिल चुराना हैधीर धीरे उनको अपना जो बनना हैउनके दिल मे रहना है उनकी नैनो में समाना हैमुझे उनके प्यार का हर सितम उठाना हैआईना बता कैसे उनका दिल चुराना है।आईना बता उनका कोई राज तूमुझको

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फूल माला

21 April 2023
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फूल माला मस्तु जैसा नाम वैसा ही मस्त था, उसके बहुत से दोस्त थे, जो हर क्षेत्र में काम करते थे, गाँव क्षेत्र में कोई भी कार्यक्रम हो उसमे मस्तु उपस्थित नहीं हो ऐसा कभी नहीं हो

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चम्मच

17 June 2023
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रसोईघर में चम्मचदानी में रखे चम्मच पूरे रसोईघर में इतरा रहा था। बेचारा प्रेशर कूकर तो दाल चावल पकाते पकाते नीचे से काला पड़ गया था और सीटी मारने के बाद भी उसकी मेहनत की कोई तवज्जो नहीं थी। तवा बेचारा त

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कच्ची उम्र की मोहब्बत

27 June 2023
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अमित देहरादून बस अड्डे पर दिल्ली वाली वाल्वो बस में बैठा, लगभग सभी सीटें भरी हुइ हैं, आखिरी सीट से पहले की सीट पर लगभग 18 साल की युवती बैठी हुई है, उसके बगल वाली सीट खाली है, परिचालक ने अमित को कहा कि

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दिवाली का उपहार

29 October 2024
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दयानंद मूलतः उत्तराखण्ड के निवासी थे लेकिन उनके तीन पीढ़ी पहले उनके बूढ़े दादा जी बचपन में ही सोनीपत किसी रिश्तेदार के साथ नौकरी करने चले गये थे। दयानंद कपरवाण ने सोनीपत में अपनी जाति को छ

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