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भूखे लकड़बग्घे...

18 May 2023

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आज मैं आपको एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी सुनाने जा रहा हूं... एक ऐसी घटना जो किसी भी आम इन्सान के साथ घटित हो तो उसे पूरी तरह से दहशत से भर देती है... ऐसी ही एक घटना मेरे साथ घटित हुई थी जब मैं अपनी सरकारी नौकरी कर रहा था, ये घटना नैनी इलाहाबाद (प्रयागराज) की है जहां पर मेरा पोल मैन्युफैक्चरिंग सब डिविजन ऑफिस है ... मेरा सब डिविजन एक ऐसी जगह है जहां पर दिन भर तो सब कुछ ठीक ठाक चलता है लेकिन जैसे ही जैसे रात होने लगती है , डर लगने लगता है... एक अनजान डर ,जो किसी भी आम इन्सान को रात भर चैन से सोने नहीं देता है... 

साल 2006 के दिसंबर महीने में मेरी शादी होने के बाद से मैंने अपने उत्तर प्रदेश बिजली विभाग की सर्विस ब्रेक कर दी थी क्यूंकि मेरी तनख्वाह से अवैध बिजली कटौती कर दी गई थी मेरी मृतक आश्रित कोटे की नौकरी से बिना मेरी अनुमती के अक्टूबर 2005 से, तो मेरी शादी होते ही मैंने अपनी सर्विस ब्रेक करने का फैसला ले लिया...  सितंबर 2007 में मेरे हेड ऑफिस द्वारा दैनिक जागरण में मेरे सर्विस पर न आने की खबर छपवाई गई और मुझे तुरन्त ही हेड ऑफिस में रिपोर्ट करने के आदेश दिए गए... उस समय मैं बिहार के पटना शहर में था जहां मेरे ननिहाल के परिवार वाले रहते हैं... बिहार पुलिस मुझे ढूंढते हुए मेरे फ्लैट तक पहुंची और मुझसे वाराणसी हेड ऑफिस में तुरन्त ही रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया... क़रीब दो दिनों बाद मैं अपने हेड ऑफिस पहुंचा तो मुझे पहले नैनी इलाहाबाद में स्थित पोल फैक्ट्री के हालात समझाए गए , जहां चोरों और दबंगो ने नाक में दम कर दिया था तथा वहां के अधिकारीयों को काम नहीं करने दिया जाता था... 
मैं नैनी इलाहाबाद पहुंचा तो मुझे फैक्ट्री में ही रहने के आदेश दिए गए, शुरुआत में तो वहां मुझे बहुत गुण्डा गर्दी दिखाई गई क्यूंकि मैं वहां नया था और सबकी एक ही मंशा थी कि मैं वहां से डर के भाग जाऊं। वहां के हालात इतने बुरे थे कि काम करने वाले ठेकेदारों को भी रिवॉल्वर लेकर घूमना पड़ता था क्यूंकि दबंगो का दल कभी भी अन्दर प्रवेश कर के काम रुकवा देता था, फैक्ट्री में एक भी लाईट नहीं लगाई गई थी ताकि अंधेरे में फैक्ट्री दिखाई न पड़े चोरों को... पर मैं भागा नहीं और वहीं पर जमा रहा, एक रात अचानक फैक्ट्री में सेंध लगाकर कुछ मशीनी उपकरणों को चोरी किया गया... अधिकारियों द्वारा पुलिस बुलवाई गई और मुझे उनके सामने खड़ा कर दिया गया, नैनी थाने के दरोगा ने मुझे रात में गश्त लगाने के आदेश दिए... 

मैंने फैक्ट्री तथा आस पास के इलाकों का अच्छी तरह से निरीक्षण किया... चारों तरफ घना जंगल मौजूद था और उन जंगलों से जंगली जानवर रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर जाते थे। मुझे ये देखकर ताज़्जुब हुआ कि इतना घना जंगल और उसमें मौजूद जंगली जानवरों के होते हुए भी आख़िर चोरों का दल कैसे इतनी हिम्मत कर लेता है अन्दर प्रवेश कर चोरी करने की। मैंने भी उन चोरों की तरह सोचना शुरू किया क्यूंकि लोहे को लोहा ही काटता है... जहां फैक्ट्री में काम करने वाले ठेकेदार अपनी सुरक्षा के लिए रिवॉल्वर रखते थे , वहीं मुझे एक कुल्हाड़ी दी गई जिससे मैं खुद की सुरक्षा कर सकूं... मैं भी यही सोचता था कि आख़िर इस कुल्हाड़ी से क्या होगा, अगर चोरों के दल से मुक़ाबला हुआ तो मैं क्या कर पाऊंगा... पर मैंने फ़ैसला तो कर ही लिया था कि जिस काम से भेजा गया है, उसे पूरा करना ही पड़ेगा। तो मैंने उन्ही चोरों का हथकंडा अपनाया और आस पास मौजूद जंगलों का फ़ायदा उठाया ... रात भर मैं पेड़ पर चढ़ कर आस पास के इलाकों पर नज़र रखता था , पर रौशनी की कमी होने की वजह से कई बार जंगल में बेर की ऊंची और कटिली झाड़ियां होने की वजह से चमड़ी बिलकुल छिल जाती थी... फिर भी मैंने हार नहीं मानी और अपने हेड ऑफिस में थोड़ी थोड़ी दूरियों पर बल्ब लगवाने का लिखित अनुरोध किया... मेरी तुरन्त ही सुनवाई की गई और पांच स्थानों पर 200 वॉट के बल्ब लगवाए गए , जिससे रात में जंगल के आस पास देखने में असुविधा न हो और बेर के झाड़ों से शरीर छलनी न हो। काफ़ी दिन बीत गए पर चोरों के दल ने दोबारा हमला नहीं किया , मैं रोज़ाना रात में गश्त लगाने लगा और सुबह कुछ देर आराम करने के बाद मैं अपने कार्यालय परिसर में स्थित जंगलों में कुल्हाड़ी चलाने का अभ्यास करने लगा... वैसे तो मैं बहुत से हथियार चला लेता था नानचाकू, लाठी इत्यादि पर कुल्हाड़ी मेरे लिए बिलकुल नया हथियार था... जिसे मैंने बिलकुल नए अंदाज़ में चलाना शुरू कर दिया और एक ही वार में कुल्हाड़ी सीधे निशाने पर मारने लगा। देखते ही देखते मैं कुल्हाड़ी चलाने में बिलकुल निपुण हो गया... मेरी पत्नी भी मेरे साथ रहती थी पर उस जगह पर रहने से बहुत ही ज़्यादा घबराती थी क्यूंकि वहां सांप, बिच्छू, लकड़ बग्घे , सियार , लोमड़ी, साही, चीता इत्यादि अक्सर ही दिखाई पड़ते थे... इसलिए वो अपना ज़्यादातर समय अपने मायके में ही बिताती थी। एक बार की बात है जब मेरा बड़ा बेटा आर्यन साल भर का था तो हमारे कॉटेज की तरफ़ अचानक ही लकड़ बग्घों के झुण्ड ने बढ़ना शुरू कर दिया और चारों ओर से घेरने की तैयारी कर ली... मैं उस वक़्त बाहर गश्त ही लगा रहा था कि तभी अचानक मेरी नज़र लकड़बग्घों के झुण्ड पर पड़ी , जो हमारी तरफ़ ही आ रहे थे... उस रात मेरे और मेरे परिवार के आलावा उस फैक्ट्री में कोई भी मौजूद नहीं था, यहां तक की ठेकेदार की ओर से रखा गया चौकीदार भोला भी नहीं आया था, उसकी तबीयत ख़राब हो गई थी और मुझे उस रात अकेले ही ड्यूटी देनी पड़ी थी, लकड़ बग्घों का झुण्ड बेख़ौफ़ होकर हमारे कॉटेज की तरफ़ बढ़ता चला आ रहा था, वजह बस यही थी कि उन्हें मेरे साल भर के बेटे की गंध मिल चुकी थी जो उस रात मेरी पत्नी के साथ घर के अंदर सो रहा था... वे कुछ ही देर में मेरे कॉटेज के क़रीब पहुंच गए और नज़दीक आ कर खड़े हो गए, भूखे होने की वजह से उनकी लार टपक रही थी तथा वे मुझसे कुछ ही दूरी पर खड़े होकर मेरे द्वारा की जाने वाली प्रतिक्रिया का इंतज़ार करने लगे... 
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.


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दहशत की रात...
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एक सत्य कथा... आज मैं आपको एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी सुनाने जा रहा हूं... एक ऐसी घटना जो किसी भी आम इन्सान के साथ घटित हो तो उसे पूरी तरह से दहशत से भर देती है... ऐसी ही एक घटना मेरे साथ घटित ...
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18 May 2023
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"अब क्या होगा... क्या करूं , इनका अकेले मुक़ाबला करना सही रहेगा या इनके वार का इंतज़ार करूं .... बहुत जल्द ही ये और नज़दीक आ जाएंगे ... मेरे पास तो एक ही कुल्हाड़ी है," ये सारी बातें मेरे दिमाग़ में च

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पहली बार खट खुट की कुछ आवाज़ें सुनकर मैंने नज़र अंदाज़ कर दिया पर उस सर्द कोहरे की रात को अचानक ही फिर से मुझे वही आवाज़ सुनाई दी , जब मैं आग के पास फैक्ट्री के शेड में बैठ मोबाइल में बाउंस नामक वीडिय

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मैं धीरे धीरे कंस्ट्रक्शन साइट के अंत तक पहुंच रहा था कि तभी अचानक घने कोहरे के पर्दे को तेज़ी से चीरता हुआ एक अजनबी साया मुझसे कुछ दूरी पर दाएं से बाएं हाथ की ओर दौड़ लगाता है, जिस ओर डिविजन स्टोर मौ

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" जल्दी करा हो... जल्दी करा," मेरे नज़दीक पहुंचते ही फैक्ट्री में मौजूद चोरों के दल में से एक ने अपने साथियों को निर्देश देते हुए कहा , उन्हें मेरी मौजूदगी का अहसास बिलकुल भी नहीं था ... जल्द ही मैं फ

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19 दिसम्बर की रात को मेरी खाकी वर्दी का इम्तिहान था जो मुझे पुलिस विभाग के चरित्र प्रमाण पत्र बनने के बाद बिजली विभाग द्वारा अलॉट की गई थी , नैनी इलाहाबाद में क़दम रखने से पहले ताकि मैं चोरों का मुकाब

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18 May 2023
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" फुस्स ss फुस्स ss स ss स... फुस्स ss स ss स... फुस्स ss स ss स ss स," आखिरकार फुसफुसा कर नाग देवता मेरे बाएं कंधे से मुझे सूंघते हुए नीचे उतर ही रहे थे मेरे पैरों से होते हुए की तभी अचानक..." कोनो ब

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अगर अवैध बिजली कटौती न करवाई गई होती ऑक्टोबर 2005 को मेरी तनख्वाह से, तो अब तक मैं चन्दौली जिले में स्थित व्यास नगर कॉलोनी में विभागीय आवास ले चुका होता, क्यूंकि मेरा सब डिविजन ऑफिस वहीं पर स्थित था..

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18 May 2023
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अपने स्वेटर की आस्तीनो को ऊपर कर मैं अपने दाएं हाथ में कुल्हाड़ी पकड़े, जिसकी धार पर उन चोरों के लीडर की गर्दन टिकी थी तथा अपने बाएं हाथ से उसे गर्दन से दबोचे हुए , मैं मेन गेट की दिशा में बढ़ रहा था

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18 May 2023
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" आ ss ह... कुछ भी हो मुझे अपने हाथों से बह रहे ख़ून को किसी भी हालत में रोकना पड़ेगा... बहुत गहरा घाव कर दिया है , सर्दी के कारण चोट लगने पर और भी अधिक दर्द होता है , हथेली तो बिलकुल चिपचिपी पड़ चुकी

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18 May 2023
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" सन न न न... स ss टा ss क... आ ss ह," घने कोहरे का फ़ायदा उठा कर मैंने एक और चोर को अपना शिकार बनाया, नान चाकू को तेज़ी से घुमाते हुए कोहरे के बादलों को काटते हुए सीधा उस चोर की खोपड़ी पर प्रहार किया

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18 May 2023
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" देख ला... हम पचे पहले ही कहत रहे कि चला ईहां से... का मतबल हुआ रुके का... पर तोहार समझ में नईखे आवत बाटे, अभिनों हमरी बात माना और इहां से निकल चला... नहीं तो ऊ ससुरा किसी को न छोड़ी," अपने साथी को म

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जुगाड़- 2

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घने कोहरे में , हल्की रोशनी के सहारे मैं धीरे धीरे मेन गेट की दिशा में आगे बढ़ रहा था कि तभी अचानक मेरे मन में एक विचार उठा..." क्या मेरा मेन गेट खोलना उचित रहेगा... इन चोरों के दल पर इस तरह से भरोसा

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जुगाड़ फेल ख़त्म खेल...

18 May 2023
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