अगस्त और मैं, जैसे बारिश और बादल, जैसे नदियां और पानी, जैसे जून कि तपती धरा पर अगस्त कि बूंदों की मनमानी, 45 डिग्री पारे के बाद सूखी फसलों कि फिर से हरियाली, एक ऐसा माह जिसकी शुरुआत फुहारों से होतीं, सावन और हरियाली के रंग लिये, श्रद्धा और भक्ती लिये शिव के रंग में रमा, फिर आज़ादी का जश्न लिये गौरवांवित करता रहा, भाई बहन का प्यार लिये रक्षा का धागा हैं अगस्त, और सबसे मोहक नटखट प्यारे मोहक कान्हा का जन्म लिये अगस्त, अगस्त एक माह अलग अलग भावनाओं, विचारों और रंगों को बिखेरता, सम्पूर्ण माह कहना क्या होगा अब समझ पाई हूँ मेरी अपनी का रहस्य। हालाँकि कोई अपने जन्म का समय नहीं चुनता परंतु अगर मैं चुनती तो अगस्त को ही चुनती। मेरे सम्पूर्ण व्यक्तिव का सार लिए, अगस्त। या यूं कहूँ कहूँ कि मैं अगस्त हूँ या मुझमें अगस्त समाहित हैं। पर हम अलग नहीं जरा भी नहीं।
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