जात-पात देखो नहीं, न मजहब, पंथ या धर्म, प्रत्याशी को वोट दो, देख के उसके कर्म । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
जात-पात की बात जो, देता रोज बताय, उस पर झाड़ू फेर दो, कितना भी बहकाय । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
षड्यंत्रों को जो बुने बस, पाने को सत्ता राज, सही वक़्त मतदान का, उन्हें ठोंक दो आज । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
काम न आया गर कभी, दूर रखा हो विकास, अस जब पहुँचे आप तक, मत कीजो विश्वास । (C)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "
गुप्तदान की महिमा बड़ी, जन्म सुफल हुई जाय, मन रखियो चुपचाप सब, जब मत दीजो जाय । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
देश के हित को देखना, जब करना मतदान, कितना पानी दूध है कितना, सर्प नेवला जान । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
जिस नेता के काज गलत, जिसकी नीयत में खोट, पक्ष-विपक्ष न देखिये, दीजो वोट की चोट । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
लोकतंत्र सबसे बड़ा, सबसे बड़ा चुनाव, मताधिकार का मान रख, सब पहुँचो अपने गाँव । In these verses, there is an appeal to vote. (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
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