कितनो की ख़ुदगर्ज़ी देख चुका हूँ
कितनो का प्यार देख चुका हूँ
कितनो का धोखा देख चुका हूँ
कितनो का एतबार देख चुका हूँ
कितनो की बेरहमी तो कितनो की
हमदर्दी बेशुमार देख चुका हूँ
कितनो ने की हैं साज़िशें तो
कितनों का वार देख चुका हूँ
ना सिखाओ मुझे तुम
किस क़िस्म के हो
मैं इस ज़माने का चेहरा
कई बार देख चुका हूँ
क्यों गिनाते हो तुम ये हमदर्दी तुम्हारी
अंधा नहीं हूँ मैं यार देख चुका हूँ
मतलबपरस्ती ख़ुदग़रज़ी
तलबगार देख चुका हूँ
तुम 36 की बात करते हो
मैं तुम जैसे हज़ार देख चुका हूँ
हो गया हूँ मैं अब खुदके के ख़िलाफ़
क्योंकि खुदको ही मैं गुनहगार देख चुका हूँ