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फणींद्र भारद्वाज, एक अयोध्या, भारत के मशहूर संगीतकार और लेखक हैं। उनका जन्म 20 अक्टूबर 2000 को हुआ। उनकी एक प्रमुख पुस्तक "अन्दाज़-ए-बयाँ" है, जो उनकी अद्वितीय कथा-रचना का प्रतिनिधित्व करती है। उनकी लेखनी और संगीती में उनकी अद्वितीय पहचान है, जिन्हें उनके दर्शकों ने उनकी भावनाओं की गहराई और आत्मीयता के लिए प्रशंसा की है। अपनी प्रतिभा और जुनून के साथ, भारद्वाज वैश्विक रूप से दर्शकों को प्रेरित और जुड़वा रहते हैं। मुझे बताएं यदि आपको और कुछ

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fanindra's Diary

fanindra's Diary

लिखना तो चाह रहा हूँ सब कुछ मगर कुछ बातें हैं जो बयां नहीं हो सकतीं इसलिए कुछ अल्फ़ाज़ों में अपने अन्दाज़ से कुछ लिख रहा हूँ और मेरे ख़्याल से इतना ही काफ़ी हैं अगर पढ़ने में दिलचस्पी है आपकी मैं हूँ फणींद्र भारद्वाज जयपुर राजस्थान से जिसे आप गुला

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fanindra's Diary

fanindra's Diary

लिखना तो चाह रहा हूँ सब कुछ मगर कुछ बातें हैं जो बयां नहीं हो सकतीं इसलिए कुछ अल्फ़ाज़ों में अपने अन्दाज़ से कुछ लिख रहा हूँ और मेरे ख़्याल से इतना ही काफ़ी हैं अगर पढ़ने में दिलचस्पी है आपकी मैं हूँ फणींद्र भारद्वाज जयपुर राजस्थान से जिसे आप गुला

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mid night thoughts

mid night thoughts

new hindi book by fanindra bhardwaj

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mid night thoughts

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new hindi book by fanindra bhardwaj

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कड़कती धूप में छाँव की ठंडी नमीं हो तुम

30 July 2024
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कड़कती धूप में छाँव की ठंडी नमीं हो तुम  मैं बंजर वीरान हूँ मगर मेरी सरज़मीं हो तुम  तुम्हारे बिना मेरा कोई वजूद ही नहीं  मेरी हर कमीं को लाज़मी हो तुम 

mid night thoughts

1 May 2024
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टूट कर जर्जर हो चुका हूँ मैं तेरी यादों में  फिर भी कमबख़्त ये दिल से निकाली नहीं जा रही हैं  टाल देता हूँ मैं अब तो ख़ुद की हर ख्वाहिश  मगर तेरी कोई बात टाली नहीं जा रही है  दिन तो सुकून से गुज़ा

संभलता रहा फिसलता रहा

29 January 2024
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संभलता रहा फिसलता रहा और वक्त के इशारों पे ढलता रहा  कितनी ठोकरें खायीं थी मैंने सफ़र में मग़र इरादे थे मज़बूत मैं चलता रहा  ख्वाहिशें मिटा दीं कुछ ख़्यालों से अपने  कुछ ख्वाहिशों की ख़ातिर मचलता

कितनो की ख़ुदगर्ज़ी देख चुका हूँ

29 January 2024
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कितनो की ख़ुदगर्ज़ी देख चुका हूँ  कितनो का प्यार देख चुका हूँ  कितनो का धोखा देख चुका हूँ कितनो का एतबार देख चुका हूँ  कितनो की बेरहमी तो कितनो की  हमदर्दी बेशुमार देख चुका हूँ  कितनो ने की हैं

यार वो प्यार है क्या

29 January 2024
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इंतज़ार ही हो हर बार  तो यार वो प्यार है क्या  हो प्यार का व्यापार  तो यार वो प्यार है क्या  सारे ख़्वाब ही हो जायें तार तार  मेरे  यार वो भी प्यार है क्या  ना हो प्यार में जो प्यार  तो यार वो

यूँ तो सभी में एक किरदार होता है

29 January 2024
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यूँ तो सभी में एक किरदार होता है किसी में अच्छा तो किसी में बेकार होता है कोई निभाता है वफ़ाएँ बड़ी शिद्दत से तो कोई मुद्दतों से ग़द्दार होता है हालाँकी बेक़सूर है हर वो शख़्स जो ग

हम उस मोड़ पर आ चुके हैं

29 January 2024
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हम उस मोड़ पर आ चुके हैं  की सब कुछ अब छोड़ कर आ चुके हैं  दर-बदर से ठुकराये उम्मीदें तोड़ कर आ चुके हैं  वो ना मिला तो क्या गिला  हम ख़ुद को उसके पास छोड़ कर आ चुके हैं  उसके अहसास को  अपनी साँ

ख़्वाब टूट रहे हैं

29 January 2024
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कहीं ख़्वाब टूट रहे हैं  कहीं ख्वाहिशें  नीलाम हो रहीं हैं  कहीं वफ़ाएँ  दम तोड़ रही हैं  तो कहीं मोहब्बतें  बदनाम हो रहीं हैं  मंज़र तो अब ऐसा है की  इश्क़ में भी साज़िशें  सरेआम हो रही हैं 

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