यूँ तो सभी में एक किरदार होता है
किसी में अच्छा तो किसी में बेकार होता है
कोई निभाता है वफ़ाएँ बड़ी शिद्दत से
तो कोई मुद्दतों से ग़द्दार होता है
हालाँकी बेक़सूर है हर वो शख़्स जो ग़द्दार होता है
क्योंकि ये वो नहीं उसका किरदार होता है
उसे तो हर शख्स से प्यार होता है मगर
उसपे किसी और का अधिकार होता है
दुनियाँ देखती है बड़ी नफ़रत से जिसे
वो भी प्यार का हक़दार होता है
बुरा वो नहीं उसका किरदार होता है
यूँ ही ठुकराते हैं लोग जिसे
वो भी सहारे का हक़दार होता है
यूँ तो हर शख़्स यहाँ समझदार होता
फिर ये कहाँ समझता है की
किरदार तो किरदार होता है.