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विध्वंश दुदुम्भी सर पर तेरे नाद करे,बन अनभिज्ञ कल से तु अपने आहृलाद करे !जल्द ही! जल्द ही, तु तम के कारे से घिर जायेगा,उर की पीड़ा उर में दब दिशाहीन तु, नग्न स्वयं को पायेगा!कल आएगा, तेरा कल
#सफरनामा में आज अपमान घूँट के पिए बहुतअब ऐसा नहीं सहन होगा!हे दुष्ट मनुज तु उठा शस्त्रयाचना नहीं अब रण होगा!!जब नाश मनुज का आता हैप्रथम विवेक मर जाता है,दे कुटुंब को द