स्वच्छंद हिंदी कविताएँ।
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हर रातों को पूनम कह दूँ🖊️हर रातों को पूनम कह दूँतो, सच का प्रतिहार कहाऊँ;क्या जब सच उद्भावित होगारातें बुरा नहीं मानेंगी?हर सच की अपनी परिभाषागल्पों से तात्क्षणिक दुराव;लोग उलझकर भ्रम जालों मेंस्वजन