सुख अनामिता का है बड़ा लुभावना
पर बढ़ने पर वह पैदा करता है
अकेलापन
उस चिड़िया को ही लो देख
जो अभी अभी परिचित हुई है
इस सौंदर्य से भरी प्रकृति से
उसको खुद को उसमें डुबाना
लगता है बड़ा प्यारा
तब भी जबकि
अभी आता नहीं खुद को उसे संभालना
तो क्या वह खुद को
उसी घोंसले के जंजीर में बांधे रखे
जिसमें उसने जन्म लिया
या उन जंजीरों को तोड़कर
वह उड़े इस नीले खुले आसमान मे??
पर उसे खुद की ही स्वतंत्रता
खरीदनी पड़ती है
घोसला बनाने वाले कुटिल नीतिग्यों से
जो ऐसे ही उसे नहीं उड़ने देते
बल्कि एक मोटा रकम हैं लेते
सार उसके जीवन का
वो खुद ही बताने लगते हैं
पर जब बात उसके सहयोग की है आती
तब उसको भ्रष्ट दिखाने लगते हैं
वो खुद एक डाल में बंधे होते हैं
और चाहते हैं दूसरा भी उनके नीचे रहे
मिथ्याचारी वो भ्रष्ट होते हैं खुद
पर खुद के अहं की संतुष्टि के लिए
आरोप उस चिड़िया पर लगाते हैं
अब वो चिड़िया क्या करे
उन रूढ़िवादियों को सफाई दे
या खुले आसमान में अपना सार बनाए
अपने आपको जिताए
या जीतने दे उन जंजीरों को
जो हमेशा से जीतती आई है??
" प्रेम सागर "