रोहन का सपना था। बड़ा समाजसेवी बनना। और वह अपना आदर्श समर सिंह को मानता था। उसका मानना था कि उन जैसा समाज सेवी और कोई नहीं है। उन्होंने महामारी के वक़्त में महामारी से मरने वाले लोगों को दफनाने के लिए अपनी 50 बीघा जमीन कब्रिस्तान के लिये मुफ़्त में दे दी थी। और आये दिन ऐसे कई बड़े बड़े समाज सुधारक काम करते रहते है। दूसरी ओर प्रिया जिसका सपना था। फ़ैशन डिज़ाइनर बनना। लेकिन उस वक्त दोनों के सपनो पर पानी फिर गया। जब उनके पिता ने अपना बिज़निस रिलेशन मजबूत करने के लिए उनकी एक दूसरे से शादी करा दी। दोनों ही इस रिश्ते से नाख़ुश थे। वो एक दूसरे से छुटकारा पाना चाहते थे।
माँ बाप के कहने पर वो लोग हनी मून के लिए कुल्लू मनाली के लिए रवाना हुए। परन्तु शहर निकलने से पहले ही उन लोगों ने अपना मन बदल लिया। और शहर किनारे ही एक खंडहर से पड़े फार्म हाउस में रुक गए। धीरे धीरे रात हो चुकी थी।
"क्या यही जगह मिली थी।...वो भी नकली हनीमून के लिए। खण्डहर पड़ा फार्म हाउस और सामने ये क़ब्रिस्तान..! जैसे भूतों का बसेरा हो यहाँ, सच मेरी और तुम्हारी सोच कितनी अलग है।" एक नजर खिड़की से बाहर देखते हुए प्रिया ने बोला।
"देखो प्रिया तुम मेरा दिमाग खराब मत करो! वैसे भी हम यहाँ कोई प्यार रोमैंस करने नहीं आये है।"
"हाँ पता है मुझे बस कुछ दिन हनीमून का ढोंग रचना है। और फिर वापस घर चले जाना है। फिर भी हम कहीं और भी तो रुक सकते थे। क्या तुमको डर नहीं लगता है यहाँ..? तुम्हें नहीं लगता यहाँ भूतों का बसेरा होगा।" प्रिया खिड़की से आकर बेड पर लेट गयी।" और फिर कुछ क्षण सोचने के बाद चिन्ता जाहिर की, "अरे, हाँ मुझे याद आया ये तो वही कब्रिस्तान है जहाँ महामारी में मारे गए लोगों को दफनाया गया था। और कहते है कि यहाँ मरे हुए लोग कब्रिस्तान में आने वाले लोगों को इन्फेक्टेड कर देते है। उन्हें उल्टियां होने लगती है और वो मर जाते है।"
"नहीं मैं ये भूत ऊत को नहीं मानता हूँ। वैसे भूत ऊत जैसी कोई चीज न होती है और न है।" और फिर शख़्त लहजे में कहा, "अब तुम सो जाओ और मुझे भी सोने दो!"
वे दोनों एक दूसरे की तरफ करवट किए हुए बेड पर लेट गए।
फार्म हाउस में जरूरत की सभी चीजें थी। बेड के सामने दीवार पर tv लगी थी। फार्म हाउस, गार्डन और कब्रिस्तान के बीचों बीच था। फार्म हाउस के सामने एक बड़ा सा गार्डन और ठीक पीछे एक कब्रिस्तान जहाँ पेड़ो के साथ साथ जगह जगह कब्रें बनी थी। कब्रिस्तान के बीचों बीच एक खम्बे पर लाइट का हंडा लगा था। जो फिलहाल जल नहीं रह था। फार्म हाउस के गार्डन के सामने पक्की सड़क थी। वो लोग जिस कमरे में रुके थे। वो कमरा दूसरी मंजिल पर था।
अर्द्ध रात्रि के समय वो गहरी नींद में थे तभी अचानक से दीवार पर लगी tv ऑन हो गयी। उसकी ध्वनि सुन दोनों लोग उठकर बैठ गए। रोहन उठकर बशरूम चला गया। अब प्रिया कमरे में अकेली ही थी तभी tv अपने आप बन्द हो गयी। और फिर कमरे में जल रहा बल्ब भी लुप लुपाने लगा। बिजली के तारों में स्पार्किंग होने लगी। एक दम से कमरे में अंधेरा सा छा गया। अब कमरे में रोशनी का सिर्फ एक ही सोर्स था और वो भी क़ब्रिस्तान की तरफ वाली वो खिड़की जहाँ से मद्धम मद्धम सी रोशनी के साथ हाड़ कपा देने वाली ठण्डी ठंडी तेज हवाएँ बह कर कमरे में आ रही थी।
वह खिड़की के पास गई और खिड़की के पलड़ों को पलट कर बन्द करने लगी। तभी उसके कानों में मासूस बच्चों की किलकारी गूँजी तो उसका ध्यान नीचे कब्रिस्तान की तरफ गया। जहाँ हंडे की रोशनी में कब्रों पर छोटी छोटी बच्चियां किलकारी मार रही थी। अब उसके मन का डर बिल्कुल शांत हो गया वह एक चित्त उसी ओर निहारे जा रही थी। तभी तेज हवा के साथ काले धुएँ में एक रूहानी चेहरा प्रकट हुआ पलक झपकते ही उसके पास खिड़की से आकर चितकारा। उस हवा ने उसे विपरीत दीवार पर दे मारा जो गार्डन की तरफ थी। डरी सहमी प्रिया पार्क की तरफ वाली दीवार से सर सटाकर बैठी थी। तभी उसके कानों में पायल की झन झन की ध्वनि गूँजी मानो पायल पहने गार्डन में कोई घूम रहा हो। हिम्मत कर उसने खिड़की से नीचे गार्डन में देखा, तो पाया एक लम्बे लम्बे बालों वाली औरत बालों को बिखेरे घूम रही है। उसकी पाँव में बंधी पायल से झन झन की ध्वनि उत्तपन्न हो रही थी। तभी मूसलाधार बारिश होने लगी। बारिश में उसके बाल पूरी तरह से भींग गए। बालो से पानी की बूंदे टपक रही थी। धीरे धीरे उसका सौंदर्य पूर्ण रूप धीरे धीरे विकराल होने लगा। एका एक उसका शरीर काले धुएँ में परिवर्तित होकर हवा के संग बहने लगा।
"अरे! तुम यहाँ खिड़की के पास क्या कर रही हो..? देख नहीं रही हो कितनी ठण्डी हवाएँ बह रही है!"
प्रिया ने पीछे मुड़कर बदहवास होकर कहा, "वो ...रोहन ..गार्डन में कोई ..!"
"अरे! ऐसा क्या है गार्डन में, मैं भी देखूँ" रोहन ने प्रिया के कन्धे पर हाँथ रखकर गार्डन की तरफ निहारा और बोला," अरे! तुम तो ख़ामख़ा ही डर रही हो देखो कुछ भी तो नहीं है वहाँ"
प्रिया ने पलटकर गार्डन की तरफ देखा तो वहाँ सच में कोई न था।
अब दोनों लोग पुनः विस्तर पकड़ लिए। प्रिया की आँख अभी अभी लगी ही थी कि उसका जी खराब हो गया, तो वह बाथ रूम की तरफ दौड़ी। रोहन भी उसी के पीछे पीछे चल दिया।
बॉशरूम से बाहर आने पर उसने उसका हाल लिया, "अब ठीक तो होना! जरूर तुमने कुछ उल्टा सीधा खा लिया होगा।"
"नहीं , मैंने कुछ भी उल्टा सीधा नहीं खाया। मुझे तो लगता है कि उन शैतानी रूह ने मुझे भी इन्फेक्टेड कर दिया है।"
"कौन शैतानी रूह..?" रोहन ने आश्चर्य से पूँछा। तो प्रिया ने सारी घटना बता दी। परन्तु रोहन उस पर विश्वास ही करने को तैयार न था। तभी नीचे से पुनः पायलों की झन झन सुनाई दी । अब ये आवाज रोहन को भी सुनाई पड़ रही थी। वो दोनों उस पायल की ध्वनि का पीछा करते करते नीचे आ गए। प्रिया डरी सहमी रोहन के पीछे पीछे चल रही थी। तभी उन्हें एक छोटी सी मासूम बच्ची दिखाई दी। उस बच्ची ने एक टक उन्हें देखा और भागकर एक अंधेरे कमरे में घुस गई। रोहन ने अपने मोबाइल का फ़्लैश जगाया और उस बच्ची के पीछे उस कमरे में आ गया। डरी सहमी वो मासूस एक कोने में छिपकी हुई बैठी थी। रोहन के कदम जितने उसके पास बढ़ते वो खुद को उतना ही समेट लेती।
"मुझे तो लगता है मासूम भी उसी डायन से डरकर यहाँ छुपकर बैठी है।"
"ऐसा कुछ भी नहीं है। ये मासूस, हम लोगों को नहीं जानती है इसी लिए छिपकर बैठी है।" और फिर उस मासूम की तरफ कदम बढ़ाते हुए कहा, "डरो मत बेटा, मैं तुमको कुछ नहीं करूँगा। तुम मुझे बताओ क्या तुम राश्ता भटक गए हो..?"
हाँ बेटा, तुम अगर मुझे सच सच बताओगे, तो मैं तुम्हे तुम्हारे घर तक सही सलामत पहुँचा दूँगा।" प्रिया भी उसके सुर में सुर मिलाकर बोली। अब उस मासूस के अंदर का डर खत्म हो गया। वो उनके पास आ गयी।"
उसके हांथ में एक तस्वीर थी। रोहन ने उससे वो तस्वीर माँगी, तो उसने उसे दे दी। उसने तस्वीर निहारते हुए उस मासूस से पूँछा, "ये कौन हो..?"
मासूम ने जबाब दिया, "ये मेरी माँ है।"
तभी प्रिया की भी नजर उस तस्वीर पर पड़ी। और अचंभित होकर बोली, "अरे! इस...इस औरत को तो मैंने नीचे गार्डन में देखा था।"
"ओह! तो ये सब इसी की साजिश है ये औरत इस जमीन पर अपना कब्जा जमाना चाहती है इसी लिए कब्रिस्तान की चुड़ैल का ढोंग करती है।" रोहन ने अपना शक जाहिर किया।
मासूम ने आश्चर्य से उसकी ओर देखते हुए कहा, "ये मेरी माँ है और ये बहुत पहले मर चुकी है।"
दोनों एक दम से सन्न हो गए। और अफ़सोस जताते हुए कहा, "माँफ करना बेटा मैंने बिना जाने तुम्हारी माँ पर जाने क्या क्या आरोप लगाए। मुझे बेहद अफ़सोस है तुम्हारी माँ की मृत्यु पर.!"
तभी पुनः एक जोरदार झोका उसके पीछे से आया उसने पलक झपकते ही रोहन को जकड़ लिया। तभी प्रिया ने उसकी बच्ची को पकड़ लिया और तेज स्वर में कहा, "मेरे पति को छोड़ दो! वरना मैं तुम्हारी बेटी को मार डालूँगी।"
उसका अपनी बेटी से बेहद लगाव था। उसने झट से रोहन को छोड़ दिया। रोहन ने खुद को संभालते हुए कहा, "तो तुम ही हो क़ब्रिस्तान की चुड़ैल..? मुझे बताओ क्यों तुम बेगुनाह लोगों की जान लेती हो..?"
"बेगुनाह लोग...वो बेगुनाह लोग नहीं है। वो हैवान लोग है। इसी लिए मैंने उन्हें मौत के घाट उतार दिया।"
"मानता हूँ कि वो लोग हैवान थे। परन्तु मासूस बच्चों को क्यों मारती हो..? उन्होंने ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है..?"
"मैं सिर्फ हैवानों को मौत के घाट उतारती हूँ। मासूस बच्चों को मैंने नहीं मारा, उसे किसी और ने मारा है..?"
"परन्तु ये सब करने के पीछे तुम्हारा मक़सद क्या है.?"
"तो सुनो!" और फिर वो अपनी आप बीती सुनाने लगी, "मेरा नाम रूपा है और मैं अपने पति के साथ इस शहर में पहली पहली बार आयी थी। मेरे पति को समर सिंह की कम्पनी में मैनेजर की पोस्ट मिली थी। कुछ दिन बाद मेरे जन्म दिन पर मुझे ये फार्म हाउस चौधरी जी की तरफ से गिफ्ट किया गया था। मैं उस हैवान के बुरे इरादे को न भाँप पायी। वो मदद के बहाने अक्सर कर मेरे घर आने जाने लगा। तभी एक दिन मौका पाकर उसने अपनी असली नीयत दिखा दी। वह मेरे साथ जोर जबरदस्ती करने लगा। मैं खुद की इज्जत बचाने के लिए दूसरे कमरे में घुस गयी। उसी दौरान मेरे पति भी घर वापस आ गए। उसने मेरे पति को ढाल बनाकर मुझे बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया। मैंने उसका बहुत विरोध किया। बहुत मिन्नतें की लेकिन वो हरगिज न माना उसने मेरे पति के सामने ही मेरा बलात्कार किया। और अपनी हवस बुझाकर चला गया। हमने उससे हार न मानी। उसके खिलाप रिपोर्ट भी की। परन्तु हुआ क्या.? वो कुछ ही दिनों में छूट आया। अब मुझ पर उसके जुल्म और सितम और बढ़ते गए। लोगों से उसकी शिकायत भी की परन्तु कोई फ़ायदा न हुआ लोग ये मानने को तैयार न थे कि वो समाजसेवी के रूप में एक छुपा हुआ भेड़िया है। लोग मुझपर ही आरोप लगाने लगे। ताने कसने लगे कि मैं उससे रुपये हड़पने के लिए उस पर अनर्गल आरोप लगा रही हूँ। मैंने अपनी इस लड़ाई में अपना सब कुछ खो दिया है। अपना पति अपना बेटा..! बस यही एक मासूस बची है। जिस मैं आज भी भी उस हैवान के काले साये से बचाती फिर रही हूँ। मैं नहीं चाहता कि उस हवसी की नजर मेरी मासूस बेटी पर पड़े ।
अब रोहन को समर सिंह की तरह बनने का सपना घिनोना लग रहा था। वो मन ही मन खुद को भी कोस रहा था कि उसने एक हैवान को अपना आदर्श माना है। और फिर उस चुड़ैल से पूँछा, "फिर इस कब्रिस्तान का रहस्य क्या है जहाँ हर रोज लाशें मिलती है..?"
"ये उस अय्यास हैवान का ही खेल है जिसे वो भूतों का नाम दे रहा है। हकीकत ये है कि वो इतना हैवान हो गया कि छोटे छोटे बच्चों को भी नहीं बख्शता है। अपनी हवस का शिकार बनाकर वो उन मासूमों को जान से मारकर उन्ही कब्रों में दफन कर देता था। जब वो कब्र भी कम पड़ गयी तो बच्चीयों की लाश को उसी क़ब्रिस्तान में फेंकने लगा और उसे फिर झूठी अफवाह फैलवाई की कब्रिस्तान में महामारी से मरने वाले लोगों के द्वारा लोग संक्रमित होकर मर रहे है। और फिर कैमरे के सामने आकर खुद ही उस न्यूज़ का बिखण्डन करता है।"
ये सुनकर दोनों की रूह अंदर तक काँप रही थी। समर सिंह के प्रति उनके दिल में आग उफ़ान मार रही थी। रोहन ने उसे अस्वासन दिया, "तुम मुझ पर यकीन करो मैं आपकी बेटी को अपनी बेटी समझकर पलूँगा। इसकी पढ़ाई लिखाई से लेकर शादी तक का, सार खर्च मैं ही उठाऊँगा।" और दाँत पीसकर बोला, "आपकी म्रत्यु को में व्यर्थ न जाने दूँगा। मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि उस हैवान का असली चेहरा सबके सामने लाऊँगा। आज से तुम्हारे जो भी अधूरे काम है। मैं पूरा करूँगा।" और फिर निवेदित स्वर में कहा, "अब आप अपनी रूह को ईश्वर के हवाले कर दो।"
उस प्रेत आत्मा ने पास आकर अपनी मासूम बच्ची के गालों पर हाँथ फेरा और आँसू छलकाते हूए धुंआ बनकर हवा में आसमान की ओर उड़ चली।
"मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ।" गले लग कर प्रिया ने रोहन से कहा।
"सिर्फ एक दिन में ही मुझसे प्यार हो गया। अरे लोग तो वर्षो साथ रहते है तब जाकर उनमें प्यार होता है।"
"सच्चे व्यक्ति का प्यार सिर्फ एक दिन में ही सभी के दिलों पर छाप छोड़ देता है। और मुझे मेरे पति पर बहुत गर्व है कि वो दुनिया सबसे बड़े दिल वाला इन्सान है।" और फिर तिरछी नजर से उसकी तरफ से देखते हुए पूछा, "अरे! मैने तो अपने दिल की बात बता दी। परन्तु क्या तुम भी मुझसे प्यार करते हो या नहीं..?"
"मैं...मैं तो तुमसे तभी प्यार करने लगा था। जब तुमने कहा था। मेरे पति को छोड़ दो! सच तुम्हें मेरी कितनी फिक्र रहती है।" और फिर दोनों बाहों में बाहें डाले उस मासूम को अपने साथ लेकर चल दिये।
रोहन ने उसके खिलाप कोर्ट में अर्जी दी। तो सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए उन कब्रो को खुदवाया। एक एक कब्र में चार पाँच मासूस बच्चियों की लाशें एक साथ लिपटी मिली। जब सख्ती से उझसे पूंछताछ की तो उसने अपना सारा गुनाह कुबूल कर लिया। उसे उसके जघन्य अपराधों के लिए फाँसी की सजा मिली
आज रूपा का खोया हुआ सम्माब वापस मिल गया। उसके और उन सभी मासूमों के दोषी को सजा भी मिल गयी। अगर कुछ वापस न मिला, तो वो था उसकी जिन्दगी और लूटी हुई आबरू।