सितारों की महफिल में बाहें फैला रहे हो
क्या पता है रंगे श्याम किसे बना रहे हो
क्यों ऐसी कसम खाकर ऊपर से
अंदर से क्यू ऐसे बेखौफ टूटे हो
क्या समय की तरह रंगत को निहार रहे हो
क्यों मुज्मे इस कदर आकाश हो रहे हो
रोशनी से पहले एक चमक जरूर
उन्होंने माना हैं ये श्याम का गुरुर
फैसला लिया जाएगा समझौता नही
अपनाया जायेगा ना न्योता दिया जाएगा
नज़रे समझती है कुछ इस अंदाज में
इशारे बेफिजूल हो जाते है इस कदर
साहिल में सवार कश्ती इन तूफानों में।
सिद्धार्थ 🔱👣👌🌷🙏🏻🧿🌈💙💯✨🛡️⚔️