Writing from thought not a experiance
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तुम मुझपे शफकत कर रही हो लाज़मी है किसी कि हो तुम,मुझसे मोहब्बत लाज़मी है? माना हम एक दूजे के बहोत करीब आ गए। तुम ही बतलाओ ये जो हम कर रहे लाज़मी है?
जमाने को लग रहा बदल रहा हूं मैं नहीं, ईश्क में थोड़ा बहक रहा हूं मैं जमाने के तवज्जो से फर्क नही मुझे हां, तुझ बीन थोड़ा बिगड़ रहा हूं मैं
तेरे बाद दिल के करीब ना आने दिया किसी को तुम जो हो आखरी मोहब्बत हो मेरी