कोरोना का वार और सर पे बीवी सवार I टीके की आरज़ू में बीवी से टीका लगवाते हुए कहा की आज कल टीका कहीं और ही लग रहा है I बस, इतनी सी बात और बीवी हमारी चलने लगी बातूनी मुका-लात...." हिंदी उर्दू की जुगलबंदी में कहे गये खूबसूरत और संजीदे किस्से, वाकई काबीले गौर है। हिन्दुस्तानी में मौजूद ज़ुबानी रवानगी इन किस्सों को और दिलचस्प बनाती है। गौर फरमाइयेगा, लेखक द्वारा कुछ हटके की गई बयानबाज़ी पर। दास्ताँ को लिखने के बजाये मानो जैसे फरमाने पे ज़्यादा ध्यान दिया गया हो। रिश्तों की बारीकियों से लेकर इंसानी ज़ेहन में झांकती अभूतपूर्ण एवं मौलिक रचनाएँ, जो पर्त दर पर्त उधड़ती है तो अंदर की खूबसूरती और उजागर करती है। पढ़ने वाले के ज़ेहन में एक तस्वीर उभरती है, मानो किताब नहीं पड़ रहे हो....... गोया कोई फिल्म देख रहें हों। एक बार पढ़ने की ज़हमत तो उठाइये। यकीन मानिये, किस्से मुक़म्मल होने से पहले किताब बंद नहीं कर पाएंगे।