ये सब शब्दों का हेल -फेर है दोस्तों, मिट्ठी वाणी बोलिए तो सब पास आएगे। चाहे वो जुट ही क्यों ना हो।। थोडा सा सच बोल के देखो सब आपसे दूरी बना लेते हैं, वो लोगों को कडवी बात जरूर लगेगी। तब सब आपके जीवन से खुद दूर हो जाएगे।। शहद भी कुछ ऐसी सीख देता हैं। ऊपर से कडवा और सख्त होता हैं। पर अदरं से मिठा होता हैं।। इसलिए सब शहद को पसंद करते हैं। और किसी को नहीं। अगर कोई इंसान हाथ पर शहद लगा लें तो वहाँ बहुत से लोग आ जाते हैं। बिना सोचे समझे,चिटीयाँ भी आ जाती हैं। ये बिना कुछ सोचे की उनको तो फैसाया जा रहा है। और मतलबी इंसान अपना काम निकाल कर पानी में फेक कर अपना काम निकाल कर चल देता हैं।। ऐसे ही इंसान बातों-बातो में अपनी मिट्टी बोली बोल कर सब काम निकाल कर अपनी वहीं भाषा पर आ जाता है। मीठा बोलो सब से पर मतलब के लिए नहीं, प्यार और इज्ज़त से ताकि कोई आपसे धोखा ना खाए। आपको अपने व्यवाह से जाने।। बस यही खेल है शब्दों का। यही हेर -फेर हैं शब्दों का