आज एक ़साहब रोज की तरह अपनी चाय पीने के लिए आए।साथ में बेटा और बहू थी औरउनका अपना पौता भी था। तभी वो बहू उर्वशी से पूछ बैठे कि बहू उर्वशी आज तो मिठाई या कुछ मिठ्ठा बना होगा ही। तो मेरे लिए बिना मिटठ्ठे की खीर थोड़ी सी निकाल देना।। क्योंकि आज उन साहब की पत्नी का क्षाद्र जो था। तो खीर पुरी और व्यंजन पुजा केलिए बनना भी जरुरी था। क्योंकि आज के दिन पूजा हुआ खाना भगवान को पहले मतलब प्रितो़ को पहले फिर मंदिर और मंदिर के पुजारी को दिया जाता था। इतना सुनते ही साहब जी का बेटा बोल पड़ा की पापा जी उसको इतना सारा काम हैं। खाना बनाना,घर की देख रेख करना बच्चे को देखना और माँके क्षार्द की तैयारी करना। पंडित जी की तैयारी करना इतने सब काम में कहाँ याद रहता है।आप तो बस बैठे अपनी फ़रमाइश बताते रहते हो ।येबात बच्चा भी सुन रहा था। इतना सुनकर उनकी आखो में आंसू आ गये। और वो बिना कुछ बोले अपने रुम में चले गए। औरअपनी पत्नी की फोटो देख और रोने लगे।साहब जी ने अपने दिल कीबात अपनी पत्नी की फोटो के सामने सब बया करते हुए । बोले तुम ही थी जोमेराहर चीज़ का ध्यान रखती थी। तुमको पता था की मेरे को सुगर हैं। और मिठठा पसंद हैं । फिर भी सब चीज का ध्यान रख कर मेरे लिए सुगर कम या फ्री खीर हो या कोई मिठाई याद सेअलग बना के देती थी। तभी उनका पौता आ जाता है ।वो आंसू पूछ कर पूछते हैं क्या हुआ बेटा कुछ कामथा बिलास अपने दादा को देख कर बोलता हैं। आप रो और परेशान नहीं हो दादा जी। मैं लाया हूँ सुगर फ्रीखोर आप खा लो।और बड़े मासूम से पुछना हैं । की जो हैं नही उनके लिए इतना सब कुछऔर जो है उसे पुछते भीनही ऐसा क्यो? साहब जी बड़ी सरल भाषा में बिलास को बताते है। बेटा आज का सच यही है। यहाँ इंसानकि कोई किमत नहीं । मरे को स्मान दिया जाता हैं। वो गलत नहीं मैं ही गलत था जो भूल गया था। तो बिलास बोला दादा जी ये गलत है। मैं ऐसा कभी नहीं करुगा और ना अब होने दूगा। मैं इसको बदल कर रहूगा।इतना सुनते ही उन्होनेअपने पोते को गले से लगा के रोते हुए बोले साबास बेटा तुम अपनी मंजिल जरूर पाऔगे और सबकोतुम पर गर्व होगा। और फिर बहार सेआवाज आती है। फिरबिलास चला जाता हैं । क्षार्द जरुर करो पर किसी को गलत या किसी कि दिलदुखा के नहीं ।नहीं तो वो काय मानय होगी। जिस घर हो