साल 2020 का फरवरी महीना है, या यू कहें मौहब्बत का महीना, मौहब्बत के इस महीने की आज 11 तारीख है। आज प्रोमिस डे है। मतलब किसी से वादा निभाने वाला दिन । एक बड़े शहर (लखनऊ) के उस व्यस्त चौराहे (इंजीनियरिंग कालेज) पर ट्रैफिक अपनी गति से आगे चल रहा है और ट्रैफिक के शोर-शराबे की आवाज अपने चरम पर है। सूरज दिन के अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है। हल्की सी धूप हो रही है। मैं दूर से एक सड़क के किनारे खड़े प्रेमी जोड़े को देख रहा हूँ, जो बिल्कुल नयी उम्र के है बमुश्किल 20-21 बरस के, दोनो की पीठ पर एक-एक पिटू बैग टंगा है तथा लड़की की आँखो पर नजर का चश्मा । बेफिक्री से दोनो एक 3-4 फीट की दीवार के सहारे टिक कर एक-दूसरे से बातें करने में मशगूल है। बातों ही बातों में दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़ते है, फिर छोड़ते है, फिर पकड़ते है। मैं जब भी कभी प्रेम में हुए ऐसे जोड़े को देखता हूँ, मुझे आत्मसंतोष मिलता है। लेकिन पता नही दोनो किसी गम में है या शायद किसी उलझन में खोये हुए है। बात करते-करते कभी एक दूसरे की नजरो में झाँकते तो कभी अपने पैरो की तरफ, एक उदासी दोनो के अंदर थी। ईश्वर जाने उनका यह गम क्षणिक है या दीर्घकालिक । मैं सोच रहा हूँ कि ईश्वर से अगर कोई बात करने का जरिया हो तो कँहू कि हे ईश्वर इन दोनों का यह दुःख उनसे कोसों दूर कर दें और हमेशा उनका साथ बने रहने का वरदान दे दें। प्रेम में खोये हुए यह जोड़े किसी गम या उलझन के साथ बिल्कुल भी अच्छे नही लग रहे है। फिर अगले ही पल लड़का सड़क के उस पार चला जाता है.... और लड़की वहीं खड़ी अंतिम छोर तक उसको देखती रहती है जब तक लड़का उसकी आखों से ओझल न हो जाता है। मैं उस चौराहे के ट्रैफिक को चलाने में फिर से व्यस्त हो जाता हूँ......! रोहित