ना हीं तो यह किस्सा है और ना ही हम इसे कहानी कह सकते हैं, पर हमें इसे कोई नाम तो जरूर ही देना होगा। दरअसल यह दर्द है उन महिलाओं का जिन्होंने कहीं ना कहीं पहले समाज की कुरीति का दर्द झेला है और उसके बाद शिक्षा का अभाव उन्हें गर्त में लेकर पहुंच गया है।
समाज के अनछुए पहलुओं से निकली यह कहानी दर्द है, उस महिला का जिसके कम उम्र में ही पांच बच्चे थे और इसी दौरान उसका पति अचानक कहीं लापता हो जाता है, जो जमीन थी वह परिवार के अन्य लोगों ने साजिश कर हथिया ली और उसे घर से बेघर भी होना पड़ा।
ऐसे में अपने पांच बच्चों को लेकर यह बेसहारा मां दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर थी। इसी बेसहारा नारी कि जिंदगी में बहुत से उतार चढ़ाव आने वाले हैं। कैसे यह अपना और अपने बच्चों का पेट पालती है और समाज की किन कुरीतियों और समाज की गंदगी का किस तरह कोप भाजन बनती है। यह सब हम आपको इस कहानी में बताएंगे!
तो इस कहानी को अब हम शुरू करते हैं.......
एक प्रदेश के शाहपुर जिले के एक छोटे से गांव में अर्चना (काल्पनिक नाम) लड़की की नाबालिग उम्र में ही शादी कर दी जाती है। इसकी उम्र तकरीबन 13 या 14 साल थी। जब इस नाबालिक लड़की के माता-पिता ने इसकी शादी इससे ज्यादा उम्र के एक आदमी से कर दी थी। अपनी जिंदगी के पिछले सारे पन्नों को भूलकर अर्चना अब अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर रही थी। जन्म के बाद से ही इसे जहां मां बाप का प्यार छोटी-छोटी किस्तों के रूप में मिला था। एक तरफ तो अपने मां बाप का प्यार से वंचित रही, अर्चना को जब शुरुआत से ही शिक्षा से दूर रखा गया तो उसकी सोंचने समझने की और खुद को समझने की शक्ति भी छीण हो चुकी थी। ऐसे में नाबालिक अवस्था में ही उसके मां बप ने समाज और सामाजिकता का हवाला देते हुए उसकी शादी उससे कुछ ज्यादा उम्र के आदमी से कर दी। इसके बावजूद अर्चना ने बिना कुछ सोंचे समझे शादी के बाद उस परिवार को अपना मान लिया और उस व्यक्ति के साथ वह अपना पूरा जीवन व्यतीत करने के लिए तैयार हो गई थी। यह व्यक्ति अर्चना के परिवार की तरह ही गरीब था। मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन करता था। जमीन का छोटा सा टुकड़ा इसके नाम था जिसमें इतना अनाज उगाना संभव नहीं था, कि 2 लोगों का पेट पाला जा सके, परंतु इसके बावजूद गरीबी और अशिक्षा ने दोनों से कई गलतियां करवाएं और यह गलतियां आगे आने वाले समय में अर्चना पर काफी भारी पड़ने वाली हैं।
दरअसल हम आपको यह बता चुके हैं कि अर्चना की शादी करीब 14 वर्ष की उम्र में हुई थी। इस दौरान वह नाबालिक अवस्था में थी और इसी दौरान उसकी शादी के बाद से कुछ ही समय में उसे पहली संतान हो गई, पर इसके बाद इस संतान के होने की जितनी खुशी उसे थी शायद ही किसी को हो, लेकिन उसे क्या पता था कि आगे अभी उसके जीवन में बहुत सी मुसीबतें और संघर्ष शुरू होने वाले हैं। दरअसल गरीबी की हालत में जिस तरह से मां-बाप में रचना की शादी की थी तो उन्होंने लड़के के बारे में पूरी तरह से छानबीन नहीं की थी। यह लड़का अर्चना से बड़ा भी था, पर कुछ मानसिक रूप से बीमार भी रहता था। ऐसे में शादी के बाद से कुछ समय तक तो सब कुछ सामान्य रूप से चल रहा था और इसी दौरान साल दर साल जहां अर्चना के पति की मानसिक हालत बिगड़ रही थी। वहीं एक के बाद एक 5 बच्चे को हुए। अभी कुछ ही साल बीते थे और अभी अर्चना की उम्र भी करीब 24 या 25 साल की ही रही होगी।
ऐसे में उसकी ससुराल में अब पारिवारिक कलह बढ़ने लगी थी। पांच बच्चों का खाना पीना और पति भी ना के बराबर कमाता था। मेहनत मजदूरी करके जो भी मिलता था। वह सब खाने पीने में ही खर्च हो जाता था। ऐसे में दवा पानी के लिए भी पैसे की तंगी थी, ना ही अर्चना किसी भी तरह से अपने आपको अब बेहतर महसूस नहीं कर रही थी और ना ही वह अब खुश थी, क्योंकि गरीबी ने अब उन्हें तेजी से जकड़ लिया था। नए कपड़े तो दूर त्यौहारों पर पुराने कपड़े मांग कर काम चल रहा था, जो थोड़ी बहुत जमीन थी उससे इतना अनाज भी नहीं होता था कि साल भर का गुजारा हो सके और पति की मानसिक स्थिति के चलते वह जमीन बटाई पर दी गई थी। ऐसे में जो थोड़ा बहुत मिलना भी था वह भी बंद सा था। मानसिक स्थिति में लगातार आ रही कमी के चलते अर्चना जहां परेशान थी तो वहां उसके ससुराल के लोग इस बात का फायदा उठाने के बारे में सोंचने लगे थे।
दरअसल यह आपदा में अवसर जैसी ही बात हो रही थी। अर्चना के पति की हालत बेहद खराब हो रही थी और अब वह मेहनत मजदूरी करने भी बाहर नहीं जाता था, तो ऐसे में अर्चना अपने ससुराल के अन्य लोगों पर आश्रित हो गई थी और यहां से ही उसकी जिंदगी में मानों उथल पुथल शुरू हो गई थी। एक तरफ अर्चना का बीमार पति वहीं दूसरी ओर उसके छोटे-छोटे 5 बच्चे? इन बच्चों में 3 लड़कियां और 2 लड़के और सभी इतने छोटे थे कि कोई भी अभी अर्चना की परिस्थितियों को समझने वाला नहीं था। ऐसे में गांव के भी कुछ लोग उसका फायदा उठाने की कोशिश भी करने लगे थे। अब ऐसे में तमाम समस्याओं ने उसे एक साथ घेर लिया था। एक तरफ बीमार पति दूसरी और पांच छोटे-छोटे बच्चे और तीसरी और घरवालों पर आश्रित होने के चलते उनका बढ़ रहा अत्याचार और वहीं सबसे भयावह अन्य लोगों की उसके प्रति बदलती गंदी नज़र! अब ऐसे में इन सभी से उसे इतनी जल्दी तो छुटकारा नहीं मिलने वाला था। उसकी जिंदगी में अब क्या कुछ होने वाला था वह उसका अंदाजा भी नहीं लगा सकती थी, कि आगे चलकर उसकी जिंदगी में क्या कुछ होने वाला है।
पति के बीमारी के चलते पति कोई काम धंधा नहीं कर रहा था। सास ससुर पर अर्चना पूरी तरह आश्रित हो चुकी थी, जो भी रोटी पानी मिल रहा था, उसके लिए उसे बहुत ही मेहनत करनी पड़ रही थी, क्योंकि उस पर अपने बच्चों की जिम्मेदारी भी थी। ऐसे में पति के भाई द्वारा भी जमीन को लेकर षड्यंत्र खेला जाने लगा था पहले जो जमीन बटाई पर दी गई थी। उसका कुछ हिस्सा अर्चना को मिलता था, परंतु पति के मानसिक बीमारी के चलते अब खेत को बटाई पर भी नहीं दिया गया था। वही अर्चना का देवर जो अब इस खेत में जुताई बुवाई कर रहा था। वह उसे किसी भी प्रकार का हिस्सा नहीं दे रहा था। समस्याएं आए दिन बढ़ती जा रही थीं। गरीबी ने सब को जकड़ लिया था। इसी दौरान कुछ ऐसा होता है जो शायद अर्चना के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला है, लेकिन हम आपको वह बताएं उससे पहले हम आपको यह बताना चाहते हैं।
इसी दौरान अर्चना के ससुर की मौत हो जाती है और अब बूढ़ी सास भी अपने दूसरे बेटों पर आश्रित हैं। ऐसे में अर्चना का खर्चा उठाने को कौन तैयार होने वाला था। करीब-करीब सभी ने उसका खर्चा उठाने से मना कर दिया था, परंतु अभी उसके अन्य देवर अपनी मां के कहने पर अर्चना को घर से नहीं निकाल पा रहे थे क्योंकि अब सभी के मन में उस घर को भी अपने पूरी तरह से कब्जे में लेने की कवायद शुरू हो चुकी थी। सभी के मन में खेती के साथ-साथ इस मकान में अर्चना के हिस्से को भी अपने कब्जे में लेने के लिए षड्यंत्र शुरू हो गया था और यही कारण था कि सभी मिलकर अर्चना को और उसके बच्चों को वहां से निकालने की जुगत में लगे थे, क्योंकि पति पहले से ही मानसिक विक्षिप्त था तो अगर अर्चना अपना दुखड़ा किसी से रोटी भी तो शायद उसकी सुनने वाला कोई नहीं था और ऐसे में गांव के कुछ गिद्धों की निगाहें भी उस पर पड़ गई थी, जो उसकी मदद के नाम पर उसका फायदा उठाना चाहते थे।
गांव के ऐसे तमाम गिद्ध थे जिनकी निगाहें इन दिनों अर्चना पर थी। अर्चना देखने में ठीक ठाक थी। सभी गांव के अनुसार वह अन्य की अपेक्षा अपने आप को काफी साफ सुथरा और सजा हुआ रखती थी, हालांकि उसके पास है ऐसे आभूषण नहीं थे ना ही नए कपड़े थे, परंतु मांगे हुए कुछ आर्टिफिशियल आभूषण और मांगे हुए कपड़ों को भी हुआ सलीके और कायदे से पहनती थी। ऐसे में अन्य गांव की औरतों की अपेक्षा काफी अच्छी लगती थी और शायद यही बात उसके लिए यह और बड़ी मुसीबत बनने वाली थी। पति की बीमारी में कोई सुधार नहीं हो रहा था और उसकी हालत दिन पर दिन खराब होती चली जा रही थी। शुरुआत में जब अर्चना के पति के पिता जिंदा थे तो उसके पति का थोड़ा बहुत इलाज भी हो रहा था, परंतु पिता की मौत के बाद अब उसकी दवा भी बंद हो चुकी थी, तो ऐसे में जो हालत थोड़ी बहुत स्थिर थी वह और बिगड़ने लगी थी। अर्चना ने आसपास की जगह पर कुछ काम करने का प्रयास किया परंतु उसके इस प्रयास को गांव के वह गिद्ध सफल नहीं होने देना चाहते थे, क्योंकि उन सभी के मन में तो कुछ और ही पक रहा था। ऐसे में वह किसी भी तरह से यह नहीं चाहते थे कि अर्चना अपनी मुसीबतों से निकल सके, क्योंकि ऐसा होने पर शायद उनके मंसूबे पूरे नहीं हो पाएंगे।
हम आपको यह भी बताना चाहते हैं कि अर्चना इतनी जल्दी हार मानने वालों में नहीं थी और ना ही उसने ऐसा कुछ सोंचा था। वह यह सब जानती थी कि उसके सामने अभी बहुत सी मुसीबतें हैं। ऐसे में ही उसके सामने गांव के हालातों के चलते पहली मुसीबत खड़ी हो गई। दरअसल गरीबी और पति की बीमारी के बाद उसने गांव में मेहनत मजदूरी करने की बात सोंची थी और उसने यहां प्रयास शुरू भी किया।
उसके इस प्रयास में एक बहुत बड़ा रोड़ा सामने आने वाला था?
दरअसल जब उसने अपने बीमार पति और अपने बच्चों के लिए गांव में ही मेहनत मजदूरी करने को सोंचा तो उसे गांव के ही बाहर एक खेत में धान रुपाई के लिए काम मिल गया और ऐसे में वह खेत में धान रोपाई करने के लिए वहां पहुंच गई, परंतु उसे नहीं पता था कि यहां पर किसी की नियत उस पर बहुत अधिक खराब है। सुबह से ही अपने काम में अर्चना लग गई थी। दोपहर में बिना थके वह काम करती रही और फिर धीरे-धीरे शाम हो गई। साथ में लगी कई औरतें और आदमी अब अपने घर जाने की तैयारी करने लगे थे, परंतु इसी बीच खेत के मालिक का एक नौकर वहां पर आता है और वह अर्चना से कहता है, कि अगर तुम्हें कुछ और पैसे चाहिए तो तुम दो-तीन घंटे और काम कर सकती हो, क्योंकि मैं जानता हूं तुम्हें पैसों की आवश्यकता है और अगर तुम 2 घंटे अधिक काम कर लोगी तो तुम्हें कुछ पैसे और मिलेंगे, जो तुम्हारी कहीं ना कहीं मदद ही होगी। अर्चना को इन दिनों पैसों की काफी जरूरत थी। वह अपने पति का इलाज कराना चाहती थी और वही बच्चों के लिए भी बेहतर खाने की व्यवस्था करना चाहती थी। ऐसे में उसने बिना सोंचे इस बात पर हामी भर दी कि वह दो घंटे अधिक काम करेगी।
खेत में उसे नहीं पता था कि खेत के मालिक का जो नौकरी उससे यह कह रहा है उसके पीछे उसकी नियत क्या है! इस बात से अनजान अर्चना लगातार खेत में काम करती रही थी। इसी दौरान करीब-करीब सभी औरतें और आदमी अपने घरों के लिए निकल गए थे। अर्चना अकेले खेत में काम कर रही थी। ढलते सूरज के बाद हल्का अंधेरा होने लगा था। अब आसपास कोई नहीं दिख रहा था। इसी दौरान वह नौकर दोबारा वहां आता है और अर्चना से कुछ बातें करने लगता है। कुछ देर बाद अर्चना को इधर-उधर की बातें करता है और वह कहता है कि मुझे लगता है कि तुम्हें अपने लिए कुछ सोंचना चाहिए। तुम अभी काफी कम उम्र की हो और खूबसूरत भी हो तुम इसका फायदा भी उठा सकती हो। तुम्हें इतनी मेहनत करने की जरूरत नहीं है। ऐसे में अर्चना उसकी बातें समझ रही थी, परंतु वह अनजान बनकर अपने काम पर लगी हुई थी। वह उसकी किसी भी बात का जवाब नहीं देना चाहती थी और वह अपना काम करती रहती है। इसी दौरान वह दोबारा कहता है कि अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें ज्यादा पैसे दे सकता हूं, पर इसके लिए तुम्हें भी मेरी बात माननी पड़ेगी। जिस पर अर्चना कहती है कि नहीं मुझे बस अपनी मेहनत का ही पैसा चाहिए। अब अंधेरा होने को था और अर्चना ने अपना काम भी खत्म कर दिया था। वह जब हाथ पैर दुलकर अपने पैसे लेने के लिए उसके पास पहुंची तो फिर उसने इधर-उधर की बातें करना शुरू कर दिया। उसने कहा कि मुझे तुम पैसे दो मुझे घर जाना है। मेरे बच्चे और मेरा पति मेरा इंतजार कर रहा है। इसके बाद वह नौकर अपनी जेब से पैसे निकालता है और कहता है। जब पैसों को लेने के लिए अर्चना अपना हाथ आगे बढ़ाती है, तो वह अर्चना का हाथ पकड़ लेता है और उसे अपनी ओर खींचने लगता है। वह कहता है कि मैं तुम्हें इससे ज्यादा पैसे दे सकता हूं। अगर तुम मेरी बात मान लो जिसका विरोध करती है और वहां से अपने आप को छुड़ाकर भागने का प्रयास करती है। इस दौरान वह आदमी अर्चना को अपनी ओर खींचता है और उसे एक कसके जकड़ लेता है। इसी से बचकर किसी तरह अर्चना उसे धक्का देकर वहां से तेजी से भागती हुई अपने घर की ओर चल देती है, फिर वह पीछे से चिल्लाता है कि तुम्हारी मदद कोई करने नहीं आएगा। मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं। अगर तुम चाहना तो मुझसे कल भी मिल सकती हो। मैं तुम्हारी किसी बात का बुरा नहीं मानूंगा और अगर तुम मेरा कहां मानोगी तो मैं तुम्हारे लिए बहुत कुछ कर सकता हूं, लेकिन अर्चना तेजी से भागती हुई गांव की ओर चल देती है।
आखिरकार जब गांव पास में आ जाता है तब वह रूकती है और धीरे-धीरे चलना शुरू कर दी है। इस दौरान उसकी सांसें फूल रही थी। शरीर से पसीना बह रहा था। उसे डर था कि किसी ने उसे ऐसी हालत में देखना लिया हो और दिया बाद गांव के आने लोगों को या उसके घर वालों को पता चल जाएगी तो उसके लिए बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी होने वाली है।.ऐसे में वह डरती हुई अपने घर पहुंची। घरवालों ने पूंछा देर क्यों हुई तो उसने बताया कि आज खेत में कुछ काम ज्यादा किया था। सास में तो खास कुछ नहीं कहा परंतु देवर और उसकी भौजाई मानों उस पर बरस पड़े थे। वह दोनों उससे अपशब्द कह रहे थे, पर अर्चना ने किसी भी बात का जवाब नहीं दिया और वह नहाने के लिए चली गई। जब वह नहा कर आई तो उसकी भाभी ने उसे जो भी रुखा सुखा खाने को दिया था। वह उसने खुद खाया और थोड़ा बहुत अपने बच्चों को खिलाया। देखा जाए तो किसी ने भी भरपेट खाना नहीं खाया था, परंतु गुजारा तो किसी तरह करना ही था। अब वह रात में सो भी नहीं पा रही थी। उसके साथ जो घटना आज हुई थी, उसने उसे तोड़ कर रख दिया था। ऐसे में अर्चना अब आगे क्या करने वाली थी। वह कैसे अपनी मुसीबतों से निकलेगी! कैसे अपने पति की बीमारी का इलाज कर आएगी और कैसे अपने बच्चों का भरण पोषण करेगी! क्या उसे उसके ससुराल के किसी भी शख्स का साथ मिलेगा या फिर अब उसे इस गांव में और अधिक मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा! इन सब से वह कैसे निकलेगी और कैसे वह पति का इलाज कर आएगी! वह हम आपको अगले अंक में बताएंगे।
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