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भारत के वीर .…..रक्षक

8 March 2024

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शीर्षक - भारत माता के वीर सपूत
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           भारत के वीर सपूत भारत की शान है| भारत का गर्व है| वीर सपूतों ने अपनी जान पर खेल कर अपने भारत देश की रक्षा की थी| भारत को आज़ादी दिलाई थी| भारत के वीर सपूतों ने अपने कर्तव्य को निभा के दिखाया है|
आज हम आज़ाद है सुरक्षित है सिर्फ अपने वीर बहादुर , जवानों की कुर्बानी से | मेरी तरफ़ से सबको शत-शत प्रणाम | सोचने वाली बात है कितने बहादुर थे हमारे जवान जिन्होंने सिर्फ  भारत माता , भारत देश की रक्षा के बारे में सोचा और अपनों को भी छोड़ दिया | उस समय की बाते याद करके दिन भर आता है | हमें उनकी कुर्बानी को व्यर्थ नही जाने देना और मिलकर अपने देश की रक्षा और अपनी भारत माता को स्वच्छ रखना है |बात जब भारत के वीर सपूतों का और सुभाष चंद्र बोस का नाम ना लिया जाए ऐसा कभी नहीं हो सकता. सुभाष चंद्र बोस भारत के वीर बेटे थे जिन्होंने अपने जिंदगी की बलि अपने देश के लिए चढ़ा दी. जो बिना किसी स्वार्थ और लालच के अपने देश की सेवा करता है उसे ही देशभक्त कहा जाता है. ऐसे ही देशभक्त थे भारत के वीर सपूत सुभाष चंद्र बोस. आज पराक्रम दिवस है और यह दिवस महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस ​​के सम्मान में मनाया जाता है. हमारे देश भारत को हमेशा से ही वीर भूमि और वीरों का देश कहा जाता है. जब जब कोई देश के गरिमा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश किया है तब- तब किसी बीर बेटे ने जन्म लेकर देश के आन बान शान की रक्षा की है और अपनी जान की परवाह न करके इन्हीं वीर सपूतों में एक थे नेताजी सुभाष चन्द्र, जिन्होंने भारत भूमि की आजादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत से लोहा ले आजादी की लड़ाई में अपना बहुमूल्य योगदान दिया. वीर और पराक्रम का पर्याय माने जाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस को पूरा भारतवर्ष आज “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाता है। हर साल 23 जनवरी को हमारे देश भारत में पराक्रम दिवस मनाया जाता है. यह दिवस नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर मनाया जाता है और उन्हें याद किया जाता है। ‘पराक्रम’ यह शब्द सुभाष चंद्र बोस​ के असीम वीरता और साहसी व्यक्तित्व को दर्शाता है. पराक्रम दिवस देश के सभी हिस्सों में पूरे सम्मान के साथ मनाया जाता है. यह दिन हमें नेताजी सुभाष चंद्र जैसा वीर और साहसी बनने के लिए प्रेरित करता है। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1987 को कटक में हुआ था. सुभाष चंद्र बोस अंग्रेजों के कट्टर विरोधी थे. वह एक सच्चे देशभक्त थे जिन्होंने नारा दिया “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा “.1943 में रासबिहार बोस से “आज़ाद हिंद फौज’’ की कमान अपने हाथो में लेते हुए इसके चीफ कमाण्डर की हैसियत से आज़ाद भारत की एक स्वतंत्र लेकिन अस्थायी सरकार का गठन किया. जिसे कुल 9 देशो ने जिनमें कोरिया, चीन, जर्मनी, जापान, इटली व आयरलैंड आदि ने आधिकारिक मान्यता भी प्रदान कर दी और वीर सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म एक संपन्न हिंदू परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस था जो एक मशहूर वकील थे और उनकी माता का नाम प्रभावती देवी था. नेताजी अपने माता के 14 बच्चों में नौवीं संतान थे. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई कटक से ही किया.उसके बाद उन्होंने कोलकाता यूनिवर्सिटी से बीए की डिग्री ली। नेताजी का मानना था कि आप जब अपना लक्ष्य को पाने जाते हैं तब मंजिल कितनी भी पथरीली हो या मुश्किल हो आप आगे बढ़ते जाइए। नेताजी की मृत्यु एक विमान हादसे में हुई. हालांकि उनकी मृत्यु को लेकर जो खोजबीन की गई थी वह फाइल सार्वजनिक किया गया लेकिन आज तक यह गुत्थी नहीं सुलझ पाई कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु हुई थी या उनकी हत्या कर दी गई थी।
सभी वीर सपूतों को भूल चुके हैं परंतु हम सभी अपने भारत में रहने के जज्बे को आज भी कायम रखना चाहते हैं और जय हिंद जय भारत भी कहते हैं मेरी  यह कहानी या लेख आपको अगर पसंद आया हो तब भर्ती होने के साथ-साथ प्रतिक्रिया देखकर मेरा उत्साह वर्धन करें जय हिंद जय भारत..…जारी रहेगी वीर सपूतों की गाथाएं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र 
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आप और हम जीवन के सच ...….. आदर्शवादी
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जीवन के सच में आदर्शवादी हम सभी जीवन कभी ना कभी अपने आदर्शों को सच और  सही मानते हैं। हम सभी अपने जीवन में आदर्श के साथ चलना चाहते हैं परंतु हम सभी के आदर्श जीवन जीने की चाहत रखते हैं परंतु आज के समय में आदर्शवादी होना भी एक बहुत मुश्किल राह है। सच तो हम सभी की रहती है कि हम सभी एक अच्छी आदर्शवादी नियम और जीवन को जीए।