जीवन के सच में आदर्शवादी हम सभी जीवन कभी ना कभी अपने आदर्शों को सच और सही मानते हैं। हम सभी अपने जीवन में आदर्श के साथ चलना चाहते हैं परंतु हम सभी के आदर्श जीवन जीने की चाहत रखते हैं परंतु आज के समय में आदर्शवादी होना भी एक बहुत मुश्किल राह है। सच तो हम सभी की रहती है कि हम सभी एक अच्छी आदर्शवादी नियम और जीवन को जीए।
रंजन एक गांव का पढ़ा लिखा नौजवान था उसके घर में एक बहन और उसके माता-पिता रंजन के माता-पिता धर्म एक किसान थे और उसकी माता एक घरेलू महिला बहन की गांव में पढ़ी लिखी लड़की थी। परन्तु आज हम सभी अपने जीवन में आदर्शवादी संस्कार और परम्पराओं की सोच और समझ के साथ गांव का सहयोग होता हैं। रंजन अपने जीवन में ऊंचाइयों को छूना चाहता था। आदर्शवादी रंजन अपने गांव से पढ़ा लिखा होने के साथ-साथ उसके सपने शहर में भी पढ़ने की और अच्छा कुछ पद प्रतिष्ठा पाने का सपना था। रंजन अपने पिता धर्म से कहता हैं पिताजी आप आज्ञा दें शहर जाकर अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहता हूं पिताजी कहते हैं ठीक है बेटा जैसी तुम्हारी इच्छा रंजन खुश हो जाता है और पिताजी से आज्ञा लेकर सुबह की गाड़ी से जाने की तैयारी करने लगता है और पिताजी उसे खर्च के लिए कुछ रुपए देते हैं। रंजन अपने घर के सदस्यों और गांव के दोस्तों से विदा लेकर शहर की ट्रेन में बैठ जाता है और सुबह जब वह दिल्ली के स्टेशन पर उतरता है तब एक कुली आवाज लगता है बाहर तक जाने के लिए ऑटो पकड़ने के लिए सामन उठवाए । रंजन को उसकी आवाज को जानी पहचानी लगती है। और रंजन अवाज देता राजू और राजू रंजन को देखकर खुश होकर कहता हैं। रंजन भैया आप शहर में आ गए हां राजू तुम वह बोला हम तो अनपढ़ गवार थे यही काम मिला बस और हम शहर में जम गए आओ पहले तो कुछ खाओ पियो फिर बात करते हैं और शहर में कहां जाएंगे रंजन भैया हम तो दिल्ली की यूनिवर्सिटी में जाएंगे और वही रहेंगे और पढ़ेंगे तब तो भैया ठीक है हम भी कभी-कभी घूमने आया करेंगे हां हां क्यों नहीं राजू आना ऐसा कहकर दोनों चाय का घूंट भरते हुए चाय को खत्म करके राजू रंजन को ऑटो रिक्शा पर बिठाकर आता है और रंजन राजू को कुछ पैसे देता है तो राजू कहता है रंजन भैया गांव की तो याद रखो बैठ जाता है और ऑटो रिक्शा दिल्ली यूनिवर्सिटी के गेट पर रंजन को छोड़कर चला जाता है रंजन यूनिवर्सिटी में जाकर प्रशासनिक विभाग से मिलता है और अपना परिचय देकर एमएससी में एडमिशन ले लेता है और हॉस्टल में रहकर पढ़ाई शुरू कर देता है अब रंजन दिल्ली में पढ़ाई के साथ-साथ एक नौकरी भी ढूंढ लेता है सुबह कक्षाएं देने के बाद दोपहर से रंजन एक नौकरी में जाने लगता है रंजन अपने गांव का आदर्शवादी युवक था और उसके सपने में ऊंचा उठने के थे। परंतु दिल्ली जैसे शहर की हवा हवा से वह जानकार न था। और मैं जिस कंपनी में नौकरी करता था उसमें एक उसी की हम उम्र लड़की भी नौकरी करती थी उसका नाम था रजनी भी पढ़ाई करके नौकरी करती थी। और रजनी रंजन का मिलन और मुलाकात होना एक दूसरे को अच्छा लगने लगा एक दिन फ्लैट पर आने का निमंत्रण देता है और रंजन एक शाम रजनी के फ्लैट पर पहुंच जाता है। रजनी एक सुंदर सी मैक्सी पहने हुए गेट खोलती है। रंजन को अंदर आने को कहती है रंजन अंदर जाता है और एक सोफे पर बैठ जाता है रजनी गिलास पानी लेकर आती है रंजन पानी पीता है कहता है और आपके घर में कौन-कौन है रजनी कहती हैं कि मेरी मां और मैं रहते हैं। मेरे पिताजी एक पायलट थी और वह एक जहाज एक्सीडेंट में शहीद हो गए तो उनकी पेंशन से घर और मेरा खर्चा चलता है मां यह रंजन है मेरी क्लास में हीं पढ़ते हैं। रंजन उठकर पैर छूता है तब रजनी की मां कहती है खुश रहो बेटा आपका गांव कहां है रंजन से रजनी की मां पूछती हैं। तब रंजन कहता है यही दिल्ली से ढाई सौ किलोमीटर दूर रामपुर मेरा गांव है और मैं यहां पढ़ने के साथ-साथ नौकरी करता हूं रजनी की मां रंजन और रजनी के लिए चाय बनाने चली जाती है बातों बातों में रजनी पूछता है आपके घर में कौन-कौन है रंजन कहता है मैं गांव में रहती है माता-पिता का ख्याल रखती है और उसकी शादी के बाद हम अपने बारे में सोचेंगे ऐसा कहता है और रजनी और रंजन मुस्कुराने लगते है। रंजन आदर्शवादी होता कहता है क्या तुम मेरे साथ गांव में रहोगी जहां तुम वहां मैं वही रहूंगी फिर आपकी माता जी का क्या होगा रजनी की मां चाय लेकर आती है और कहती है बेटा मेरी चिंता मत करो मेरा यह मकान और मेरी पेंशन मेरी जिंदगी गुजारा कर देगी अगर तुम्हें रजनी पसंद है तुम दोनों उनकी खुशियां देखो वैसे भी रंजन आदर्शवादी नियम और बातों का धनी है वह कहता नहीं है माताजी मैं तो मजाक कर रहा था एक मां रहेगी वहां दूसरी मां भी रहेगी। रजनी की मां कहती हैं बहुत सुंदर विचार हैं आपके रंजन कहता है जीवन में और है भी क्या एक दूसरे का सहयोग और रहना यह जीवन है। मां जी मैं चलता हूं। रजनी की मां कहती बेटा पहली बार आए हो खाना खाकर जाना। और रजनी और मां दोनों खाना लगाती हैं। जब रंजन खाना खा लेता है तब रंजन की मां कहती है जब तुम दोनों ने फैसला कर लिया है। तो रंजन बेटा अब हॉस्टल में कैसा रहना तुम भी यहीं रहो जब तक पढ़ाई कर रहे हो उसके बारे में ब्याह कर रजनी को गांव ले जाना। रंजन ठीक है कहकर रजनी की मां कहती है रंजन का कमरा दिखा दो कमरे में जाकर सो जाता है और सुबह रजनी चाय लेकर खड़ी होती है चाय का कप पीकर नई फ्रेश होने चले जाता है और फिर रंजन और रजनी दोनों पढ़ाई के लिए यूनिवर्सिटी की ओर चल देते हैं और दोनों बहुत खुश होते हैं कहते हैं पता नहीं वक्त कब बदला जाता है। आदर्शवादी रंजन रजनी को पाकर मन ही मन खुश हो जाता हैं। परंतु समय बहुत बलवान होता है बहुत बलवान होता है भोली भाली लड़की समझ रहा है। वह एक बहुत शातिर दिमाग की लड़की थी केवल अय्याशी करना उसका पेशा था। अचानक एक दिन रंजन के पास रजनी आती हैं और कहती हैं मां की अचानक तबीयत खराब हो गई है कुछ पैसे दे दो रंजन रजनी को₹50000 दे देता है और रात को रंजन की मां को देखने घर पहुंचता है जब फ्लैट पर पहुंचता है अश्लील अवस्था में शराब पीने में मस्त थी। रंजन को अचानक रजनी घबरा जाती है। रंजन को कहती है की मां को डॉक्टर ने कहा था ऐसे ही उसका खाना पीना हो तो वह सही हो सकती है। रंजनगांव का आदर्शवादी युवा उसकी बातों में जाता है और वह रंजन को भी एक ड्रिंक बना कर दे देती है और रंजन भी आदर्शवादी होने के साथ-साथ जवानी के जोश में भूल जाता है। और रंजन और रजनी के विवाह के बाद की सारी रस्में में टूट जाती है। दोनों सुबह उठते हैं तो रजनी की मां उसे दोनों की वीडियो फिल्म दिखाती है। और कहती है उसे₹100000 नहीं तो यह मैं पुलिस को दिखा दूंगी। रंजन को दरवाजे से बाहर जाने का इशारा करती है रंजन हैरान परेशान यूनिवर्सिटी की ओर जा रहा होता है तभी उसे यूनिवर्सिटी के गेट पर राजू दिखाई देता है रंजन न क्या हुआ तुम बहुत परेशान हो तबरंजन राजू को सारी घटना बताता है तब राजू उससे उसके घर का पता पूछता है। रंजन और राजू रजनी के घर पहुंचते हैं राजू को देखकर रजनी सकपका जाती है तब राजू कहता है। राजू बताता दिल्ली की एक नंबर की कॉल गर्ल है और यह सभी को ऐसे फंसाती है। रंजन राजू दोनो उसे चेतावनी देकर बाहर जाते हैं और रंजन भी खुश होकर राजू गले लगा लेता है। रंजन आदर्शवादी होने के साथ ईश्वर को धन्यवाद देता है।
और जीवन दोबारा ना प्रेम और विश्वास न करने की कसम दे लेता है और कहता है अब अपने लक्ष्य को पाकर ही कुछ सोचेगा। रंजन और राजू दोनों एक अच्छे रेस्टोरेंट पर बैठकर चाय पी रहे होते हैं और गांव की यादों में दोनों खो जाते हैं।
राजू रंजन दोनों विदा होकर राजू अपनी रेलगाड़ी की ओर बढ़ जाता है। रंजन अपनी पढ़ाई और नौकरी में व्यस्त हो जाता है।
और रंजन को रंजन की आदर्श उसे एक अच्छी नौकरी देते हैं और साथ ही उसकी बहन की शादी हो जाती है और रंजन भी अपने जीवन में एक अच्छी जीवन साथी को ढूंढ कर आदर्श पति के रूप में जीवन बिताने लगता है।
सच तो यह है जहां आदर्श और सत्य होता है वहां ईश्वर भी सभी के साथ रहता है यह कोई सा भी हो हमारे अच्छे कर्म और अच्छा आदर्श ही हमारे जीवन को सफल बना देता है।