रुकना मत तुम चलते रहना
उन्मुक्त गगन में उड़ते रहना
कड़ी धूप में भूख प्यास से
तुम मत थकना , तुम चलते रहना
घने वृक्षों की छाया में ,
संसार की कठोर माया में ,
तम मत फंसना , तुम चलने रहना
गुलाब के फूल सा बनना है ,
तो कांटो को भी संग लेते चलना
सूरज जितना बनाना है ,
तो सूरज जितना तपते रहना
तपते - तपते चलते रहना
तुम मत रुकना , तुम चलते रहना
इसमें कोई हर्ज नहीं
जीवन का काम है चुनौतियां देना
इन चुनौतियों का निडर सामना करते रहना
तुम मत रुकना , तुम चलते रहना ।
- समर सुधीर गुप्ता