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कविता - रुकना मत

11 February 2023

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रुकना मत तुम चलते रहना
उन्मुक्त गगन में उड़ते रहना
कड़ी धूप में भूख प्यास से
तुम मत थकना , तुम चलते रहना

घने वृक्षों की छाया में ,
संसार की कठोर माया में ,
तम मत फंसना , तुम चलने रहना

गुलाब के फूल सा बनना है ,
तो कांटो को भी संग लेते चलना
सूरज जितना बनाना है ,
तो सूरज जितना तपते रहना
तपते - तपते चलते रहना
तुम मत रुकना , तुम चलते रहना

इसमें कोई हर्ज नहीं
जीवन का काम है चुनौतियां देना
इन चुनौतियों का निडर सामना करते रहना
तुम मत रुकना , तुम चलते रहना ।

                                                      - समर सुधीर गुप्ता

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चलते रहना
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यह मेरी प्रथम प्रेणनापूर्ण कविता लेखन का प्रथम प्रयास है... आशा करता हु आपको ये कविता पसंद आयेगी। धन्यवाद।